गाजियाबाद। अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने नई सुधारित बीट प्रणाली लागू की है। पुलिस कमिश्नर जे. रविन्द्र गौड़ ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में इस नई पहल की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि यह व्यवस्था जनता और पुलिस के बीच संपर्क, विश्वास और जवाबदेही को मजबूत करेगी।
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बीट प्रणाली के अंतर्गत किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र (बीट) की जिम्मेदारी एक पुलिस अधिकारी या टीम को दी जाती है। इसका मकसद है नियमित गश्त, स्थानीय लोगों से संवाद और क्षेत्रीय समस्याओं का त्वरित समाधान। यह सामुदायिक पुलिसिंग की नींव मानी जाती है।
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कमिश्नर गौड़ ने बताया कि अब तक बीट प्रणाली में अनुशासन और स्पष्टता की कमी थी, जिससे अपराधियों पर प्रभावी निगरानी और कार्रवाई में बाधा आ रही थी। अब नई प्रणाली के तहत एकरूप, व्यवस्थित और जवाबदेह बीट ढांचा लागू किया गया है।
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बताया कि प्रत्येक बीट पर मुख्य आरक्षी/आरक्षी, महिला मुख्य आरक्षी/आरक्षी (बीट पुलिस ऑफिसर) और उप-निरीक्षक/महिला उप-निरीक्षक (बीट उप-निरीक्षक) की नियुक्ति होगी। बीट अधिकारियों को स्थानीय जनता से परिचित कराने के लिए थाना प्रभारी जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित करेंगे प्रत्येक थाने की बीट में 10-15% महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी अनिवार्य की गई है।
कमिश्नरेट क्षेत्र में कुल 2,096 बीटों का गठन किया गया है, जिनका पर्यवेक्षण 717 बीट उप-निरीक्षक करेंगे। हर बीट की जनसंख्या 5,000 से अधिक नहीं होगी ताकि बेहतर निगरानी और संवाद हो सके।
बताया कि इस बीट प्रणाली के तहत इन आपराधिक गतिविधियों पर गोकशी, सट्टा, जुआ, देह व्यापार, मादक पदार्थ और अवैध शराब की बिक्री,अवैध पेड़ कटाई और संगठित आपराधिक गतिविधियाँ,बैंक, पेट्रोल पंप, ज्वेलरी दुकानों, मनी ट्रांसफर और गैस एजेंसियों की सुरक्षा,साम्प्रदायिक, जातीय और व्यक्तिगत रंजिश से जुड़ी घटनाओं पर निगरानी रखी जाएगी।
कमिश्नर ने बताया कि बीट अधिकारी स्थानीय नागरिकों के साथ नियमित संवाद बनाए रखेंगे और समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से करेंगे। उन्होंने कहा, “यह व्यवस्था नागरिकों के साथ मिलकर काम करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हमारा उद्देश्य है गाजियाबाद को एक सुरक्षित और समृद्ध शहर बनाना।”
कमिश्नर गौड़ ने बताया कि सिटीजन चार्टर सख्ती से लागू किया जाएगा। सभी प्रकार के वेरिफिकेशन समय पर किए जाएंगे, बिना वजह आम जनता को परेशान नहीं किया जाएगा। ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अन्य विभागों के साथ समन्वय कर कार्य किया जाएगा। पुलिस का व्यवहार शिष्ट और संवेदनशील होना चाहिए ताकि पुलिस की नकारात्मक छवि को बदला जा सके।
उन्होंने बताया कि, “हमारी कोशिश है कि न्याय अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और हर नागरिक यह महसूस करे कि पुलिस उसकी सहयोगी है, डर की नहीं, विश्वास की प्रतीक है।”