दमिश्क। सीरिया के नेता अहमद शरा ने कई दिनों की हिंसक झड़पों के बाद शांति की अपील की। संकटग्रस्त देश में सीरियाई सुरक्षा बलों पर कथित तौर पर अलावी धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सैकड़ों नागरिकों की हत्या करने का आरोप है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) ने कहा कि शुक्रवार और शनिवार को पश्चिमी तट पर अलावी लोगों को निशाना बनाकर किए गए 30 ‘नरसंहारों’ में लगभग 745 नागरिक मारे गए।
राष्ट्रपति शारा ने कहा, “हमें यथासंभव राष्ट्रीय एकता और नागरिक शांति को बनाए रखना चाहिए और…हम इस देश में एक साथ रह सकेंगे।” सीरियाई ऑब्जर्वेटरी का कहना है कि पिछले चार दिनों में मारे गए लड़ाकों की संख्या को मिलाकर कुल मरने वालों की संख्या 1,000 से ज़्यादा हो गई है। इसमें नई इस्लामिस्ट नेतृत्व वाली सरकार से जुड़े लगभग 125 लड़ाके और असद समर्थक 148 लड़ाके शामिल हैं। वहीं एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में सीरियाई सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया कि कम से कम 200 लड़ाकों की मौत हुई है। रविवार को दमिश्क की एक मस्जिद से बोलते हुए अंतरिम राष्ट्रपति ने कहा कि “सीरिया में वर्तमान में जो कुछ हो रहा है, वह अपेक्षित चुनौतियों के दायरे में है।
“हालांकि उन्होंने तटीय प्रांतों – लताकिया और टार्टस – में उनके समर्थकों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के आरोपों पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की। रविवार को सीरियाई मीडिया ने बताया कि सरकारी बलों और असद के वफ़ादारों के बीच बनियास में एक गैस पावर प्लांट में भी लड़ाई हुई। यह शहर लताकिया और टार्टस के बीच में है। हाल की हिंसा गुरुवार को सरकारी बलों पर घात लगाकर किए गए हमलों के बाद भड़की। सीरियाई रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने सना स्टेट न्यूज एजेंसी से कहा कि यह सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ ‘विश्वासघाती हमला’ था। इसके बाद से असद के वफादारों और सरकारी बलों के बीच झड़पों का सिलसिला शुरू हो गया। लड़ाई के बीच, भूमध्यसागरीय तट पर रहने वाले सैकड़ों नागरिक अपने घरों से भाग गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में लोगों ने लताकिया के हमीमिम में रूसी सैन्य अड्डे पर शरण ली।
वहीं दर्जनों परिवार पड़ोसी लेबनान भाग गए हैं। लताकिया और टार्टस प्रांत अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के पूर्व गढ़ थे। यह दोनों प्रांत अलावी अल्पसंख्यक समुदाय से भी संबंधित हैं। अलावी, संप्रदाय शिया इस्लाम का एक हिस्सा है। अलावी लोग सीरिया की आबादी का लगभग 10% हिस्सा बनाते हैं। सीरिया एक बहुसंख्यक सुन्नी मुस्लिम है। सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गीर पेडरसन ने कहा कि वह सीरिया के तटीय क्षेत्रों में ‘नागरिकों के हताहत होने की रिपोर्ट” से ‘बहुत चिंतित’ हैं। उन्होंने सभी पक्षों से ऐसे कार्यों से दूर रहने का आह्वान किया जो देश को ‘अस्थिर’ कर सकते हैं तथा ‘विश्वसनीय और समावेशी राजनीतिक परिवर्तन’ को खतरे में डाल सकते हैं।
लेबनान में ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी ने लताकिया और टार्टस में अलावी लोगों की हत्याओं को ‘व्यवस्थित’ और ‘बेहद खतरनाक’ बताया और सीरिया की अंतरिम सरकार पर संकट को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया। अमानी ने कहा, “यह उम्मीद की जा रही थी कि असद सरकार के पतन के बाद, सीरिया को एक कठिन बदलाव का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अब जिस पैमाने पर हिंसा हो रही है, वह अभूतपूर्व और बेहद परेशान करने वाली है।” ईरान की सरकार सीरिया में बशर अल-असद के शासन के साथ गठबंधन में थी। विद्रोही समूह पिछले दिसंबर में असद को सत्ता से हटाने में काम रहे जिन्होंने दो दशक से भी ज्यादा समय तक सीरिया पर शासन किया।