मुजफ्फरनगर। जनपद में डेंगू तेजी से अपने पैर पसारता नजर आ रहा है। अगर बात हाल फिलहाल की करें तो जनपद में डेंगू पेशेंट के आंकड़े सैकड़ा पार कर गए हैं। जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ती दिखाई दें रही हैं। डेंगू से निपटने के लिए जनपद में स्थित जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक डेंगू वार्ड भी बनाया गया है जो इस समय डेंगू के मरीजों से ठसा ठस भरा हुआ है। हालत यह है कि बुखार से पीड़ित मरीजों की लंबी-लंबी कतारे जिला चिकित्सालय में दवाई लेने के लिए देखी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बने तो जनपद में 113 डेंगू के केस हुए है जिनमें से 80 परसेंट मरीज ठीक हो चुके हैं।
जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी महावीर सिंह फौजदार ने बताया कि डेंगू हो रहा है, क्योंकि बारिश बार-बार थोड़ी सी रुक-रुक कर हो जाती है। तो बारिश की वजह से यह डेंगू का लार्वा पनप रहा है। बताया कि अब तक हमारे यहां 113 कैस हुए हैं लेकिन उसमें ज्यादातर 80 परसेंट कैस ठीक हो चुके हैं और किसी में भी ऐसे गंभीर लक्षण नहीं आए हैं कि जिसमें कोई चिंता की बात हो। बताया कि जो कूलर की बॉडी लोगों के घरों के बाहर रखी हुई है उनमे पानी चला जाता है व उनकी सफाई नहीं होती है तो उनमें लार्वा पनप जाता है या जैसे घरों में बर्तन खुले रखे हुए हैं, पुराने बर्तन है, गमले हैं उनमें पानी भर जाता है तो उसमें डेंगू का लार्वा पनप जाता है क्योंकि साफ पानी में ही डेंगू का लार्वा पनपता है। तो मेरी लोगों से यह अपील है कि डेंगू से घबराएं नहीं एवं डेंगू का इलाज है एवं सबसे अच्छा इलाज इसका बचाव है।
बताया कि अपने घरों में सफाई रखें और पूरी आस्तीन के कपड़े पहने, क्योंकि मच्छर दिन में काटता है, अंधेरे स्थान में ना रहे या नम स्थान में ना रहे, वही घर के दरवाजे खिड़की खोले जिससे हवा रहे तो लोग इस तरह के बचाव करें तो इस डेंगू से बचा जा सकता है। जिला अस्पताल में तो मेरे ख्याल से चार-पांच मरीज भर्ती है एवं बाकी ठीक हो गए हैं। लेकिन संख्या तो तभी से गिनी जाती है जब से यह शुरू हुआ था तो जब से यह शुरू हुआ था तब से हमारे जनपद में 113 कैस मिल चुके हैं। जिसमें 80 परसेंट तो ठीक भी हो चुके हैं, जिला अस्पताल में हमारे यहां फिजिशियन एवं योगी चिकित्सक है वह सब मरीजों को देख रहे हैं तो जैसे ही बुखार के मरीज आते हैं एवं उनमें जैसे ही वह डेंगू के लक्षण दिखते हैं तो उनकी जांच कराते हैं। जो डेंगू कंफर्म होता है व एक कार्ड टेस्ट होता है स्क्रीन वाला उससे कंफर्म नहीं होता है। जो एलिजा टेस्ट होता है उसकी केवल जिला अस्पताल में सुविधा है और उसके बाद ही डेंगू कंफर्म होता है। मेरी आप लोगों के माध्यम से प्राइवेट चिकित्सकों से भी अपील है कि जब तक एलिजा टेस्ट से कन्फर्म ना हो जाए उसे डेंगू घोषित न करें क्योंकि डेंगू कहने से मरीजों में थोड़ी भयावता फैलती है, क्योंकि बुखार होता है तो उसमें टाइफाइड भी हो सकता है एवं मलेरिया भी हो सकता है और कहीं तरीके के बुखार होते हैं।
बताया कि वही प्लेटलेट भी कई बीमारियों में कम होती है लेकिन हमें कई खबरें मिलती है कि बहुत से प्राइवेट चिकित्सक प्लेटलेट कम होने पर जब किसी भी बुखार को डेंगू क़ह रहे हैं तो वह चीज गलत है तो यह मेरी अपील है प्राइवेट चिकित्सकों से की इस पर थोड़ा सा अपने अधीनस्थ स्टाफ को यह निर्देश दें कि वह हर बुखार को डेंगू ना कहें जब तक की एलिजा टेस्ट से कन्फर्म ना हो जाए। जिला अस्पताल में 20 बेड का एक स्पेशल वार्ड है एवं उसमें डेंगू के काफी मरीज भर्ती करते हैं और जिनको डेंगू हो जाता है उनके लिए मच्छरदानी का प्रयोग करते हैं।
वही तीमारदार मोहम्मद इकबाल ने बताया कि यहा मेरा बेटा भर्ती है व उसे टाइफाइड हुआ था लेकिन जहां से हम इसको लेकर आए थे वहां पर डेंगू आया था, लेकिन यहां पर प्लेट तो पूरी निकली मगर डेंगू नहीं निकला और उसमें फिर टाइफाइड आया है वही प्लेटे भी काफी बढ़ गई है, हमने अपने बेटे को परसों एडमिट किया था व उसका नाम अब्दुल समर है, यहां बहुत बेहतरीन इलाज मिल रहा है एवं मच्छरदानी की भी व्यवस्था है और डॉक्टर भी टाइम टू टाइम आ रहे हैं।