किसी संघर्षरत व्यक्ति को जब सफलता प्राप्त हो जाती है तो सब जगह चर्चे उसकी सफलता के ही होते हैं। दुनिया सफल मनुष्य की सफलता पर तो ध्यान देती है, परन्तु सफलता प्राप्त करने के लिए निश्चित किए गये मार्ग पर बात नहीं करती, उसके द्वारा किए गये परिश्रम और संघर्ष पर बात नहीं करती।
हर सफल व्यक्ति के पैरों के घाव सफलता के मार्ग पर चलने की निशानी को बताते हैं… यह संसार परिणाम देखता है, किए गए प्रयास नहीं। परिणाम चाहे लम्बे समय के परिश्रम का ही फल क्यों न हो, बात केवल परिणाम पर होती है, उस लम्बे समय के कठिन परिश्रम पर नहीं। सफल मनुष्य की सफलता के प्रति आकर्षित होना स्वाभाविक है, परन्तु आवश्यक यह भी है कि सफलता के लिए किए गये संघर्ष को भी श्रेय दिया जाये।
मोहनदास कर्मचन्द गांधी के महात्मा गांधी बनने का मार्ग ऐसे ही संघर्ष के पथ से होकर गुजरता है। मोहनदास को दुनिया नहीं जानती, किन्तु महात्मा गांधी को सब जानते हैं। ऐसे ही, तैर कर नदी को पार कर स्कूल जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री हो अथवा अखबार बांटने वाले ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हों, इन सबकी सफलता के पीछे एक संघर्ष की कहानी जुड़ी है।
जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं यदि उनकी सफलता के लिए किये गये संघर्ष के बारे में जानने का प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर प्रेरणा प्रदान करने वाला होगा।