नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से कहा कि वे मानहानि मामले का मिल-बैठकर सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा कर लें।
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न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने एक संक्षिप्त सुनवाई के दौरान उन नेताओं से कहा, “कृपया हमें यह मामला सुनने के लिए मजबूर न करें। हम इसे बंद कर दें। आप दोनों एक साथ बैठकर इसे सुलझाएं।”
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शीर्ष अदालत ने श्री चौहान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और श्री तन्खा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि वे एक साथ बैठकर मानहानि विवाद को सुलझा लें।
शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में इस आपराधिक मानहानि मामले के सिलसिले में मध्य प्रदेश की निचली अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने से श्री चौहान को छूट देने के अपने 11 नवंबर, 2024 के अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया था। अदालत ने 11 नवंबर, 2024 को श्री तन्खा द्वारा दायर मानहानि मामले में श्री चौहान के खिलाफ जमानती वारंट के निष्पादन पर रोक लगा दी थी।
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श्री चौहान ने 25 अक्टूबर, 2024 के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत के समक्ष अपील की थी। उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
श्री तन्खा ने निचली अदालत में अपनी शिकायत में कहा था कि 2021 में राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों से पहले उनके खिलाफ अपमानजनक बयान दिए गए थे। उन्होंने अपनी मानहानि शिकायत में आरोप लगाया है कि श्री चौहान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मध्य प्रदेश में 2021 के पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का विरोध करने का आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ के लिए उनके खिलाफ ‘संगठित, दुर्भावनापूर्ण, झूठा और मानहानिकारक’ अभियान चलाया।
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केंद्रीय मंत्री और अन्य भाजपा नेताओं ने उनके इन आरोपों को जोरदार तरीके से खारिज कर दिया।
राज्य की जबलपुर की एक विशेष अदालत ने 20 जनवरी, 2024 को श्री तन्खा द्वारा तीनों भाजपा नेताओं के खिलाफ आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत दायर याचिका की जांच करने का फैसला किया और प्रतिवादियों को तलब किया।