नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में गरीबों को आवास मुहैया कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मुफ्त वादों पर चिंता जताई। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि लोगों को मुफ्त राशन और पैसा देने की बजाय यह बेहतर होगा कि ऐसे लोगों को समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाया जाए ताकि वो देश के विकास में योगदान दे सकें।
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कोर्ट ने कहा कि चुनाव के दौरान मुफ्त वादों की घोषणा और मुफ्त राशन मिलने के कारण लोग काम करना पसंद नहीं कर रहे हैं। लोगों को बिना काम किए मुफ्त राशन और पैसा मिल रहा है। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है जो शहरी बेघरों के लिए आश्रय के प्रावधान सहित विभिन्न मुद्दों पर होगा। इसके बाद कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा कि वो सरकार से निर्देश लेकर बताएं कि उनका यह कार्यक्रम कब से लागू होगा।