लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार को अधिवक्ता अशोक पांडे को अदालती अवमानना का दोषी करार देते हुए छह महीने के साधारण कारावास और दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि जुर्माना एक माह के भीतर जमा नहीं किया गया तो सजा में एक माह की और वृद्धि की जाएगी।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बी.आर. सिंह की पीठ ने यह फैसला वर्ष 2021 में स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज किए गए एक आपराधिक अवमानना मामले में सुनाया। कोर्ट ने पांडे को आदेश दिया है कि वे चार सप्ताह के भीतर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ की अदालत में आत्मसमर्पण करें और सजा भुगतें।
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तीन वर्षों तक वकालत पर प्रतिबंध की चेतावनी
कोर्ट ने पांडे को नोटिस जारी करते हुए यह भी पूछा है कि उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट और उसकी लखनऊ खंडपीठ में तीन वर्ष तक वकालत से प्रतिबंधित क्यों न किया जाए। इस पर जवाब दाखिल करने के लिए एक मई 2025 तक का समय दिया गया है।
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क्या है मामला
18 अगस्त 2021 को अशोक पांडे अदालत की कार्यवाही के दौरान बिना अधिवक्ता की पोशाक पहने पोडियम तक पहुंच गए। उनकी शर्ट के बटन खुले हुए थे और जब उन्हें मना किया गया तो उन्होंने अवमाननाजनक व्यवहार किया। जब कोर्ट से बाहर जाने को कहा गया तो उन्होंने न्यायमूर्तियों को ‘गुंडा’ कह दिया। कोर्ट ने कहा कि पांडे के कृत्य से न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंची है और उन्हें अपने आचरण पर कोई पछतावा नहीं है।
पहले भी हो चुके हैं दोषी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पांडे को कई बार जवाब दाखिल करने का अवसर दिया, लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि पांडे के खिलाफ पहले से कई अवमानना मामले लंबित हैं। वर्ष 2017 में भी वे अवमानना के दोषी ठहराए गए थे, जिसके तहत उन्हें दो वर्षों के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट और लखनऊ पीठ में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।