देवबंद। दिल्ली की सामाजिक संस्था मानुषी सदन द्वारा बाल संरक्षण आयोग में की गई शिकायत के बाद आयोग के निर्देश पर जनपद की शिक्षा विभाग की टीम जांच के लिए दारुल उलूम देवबंद पहुंची। जांच टीम ने संस्था प्रबंधन से बहिश्ती जेवर पुस्तक के संबंध में जानकारी ली। बाद में टीम ने प्रसिद्ध मस्जिद रशीद का भ्रमण किया और संस्था की लाइब्रेरी में रखी बेशकीमती पुस्तकों का अवलोकन किया।
एसडीएम संजीव कुमार और सीओ देवबंद रामकरण सिंह के नेतृत्व में शिक्षा विभाग की टीम दारुल उलूम देवबंद पहुंची। यहां संस्था के अतिथि गृह में जांच टीम में शामिल डीआईओएस योगराज सिंह, डीएसओ डा. विनीता और बीईओ डा. संजय डबराल आदि ने संस्था के नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी और सदर मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी से मुलाकात की।
टीम ने बाल संरक्षण आयोग के माध्यम से आए नोटिस के बारे में बताते हुए जिम्मेदारों से प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान दिवंगत मौलाना अशरफ अली थानवी की पुस्तक बहिश्ती जेवर के संबंध में जानकारी ली। साथ ही उक्त पुस्तक के हवाले से संस्था द्वारा दिए गए फतवों के बारे में भी जाना।
दारुल उलूम के पदाधिकारियों ने टीम को बताया कि यह पुस्तक 100 साल से भी अधिक समय पहले लिखी गई थी। जिसमें महिलाओं और युवतियों से संबंधित शरई मामले मौजूद है। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त पुस्तक संस्था के पाठ्यक्रम में शामिल ही नहीं है। इस दौरान टीम ने संस्था के पदाधिकारियों से कुछ समय के लिए बंद कमरे में भी बातचीत की।
एसडीएम संजीव कुमार ने बताया कि जांच के दौरान टीम के सवालों के संस्था ने जवाब दिए है। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही जांच रिपोर्ट बाल संरक्षण आयोग को भेज दी जाएगी। इस दौरान टीम ने रशीदिया मस्जिद सहित दारुल उलूम की लाइब्रेरी सहित संस्था की इमारतें देखी। इसके बाद टीम ने रशीदिया मस्जिद और दारुल उलूम की लाइब्रेरी सहित संस्था की इमारतें भी देखी।