लखनऊ। लोकसभा सांसद इकरा हसन का हालिया बयान उनकी समावेशी राजनीति और सभी समुदायों को साथ लेकर चलने के प्रयास को उजागर करता है। एक सभा में उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र की विविधता और एकता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “मेरी लोकसभा में 30% मुस्लिम और 70% हिंदू मतदाता हैं। लोगों ने शुरुआत में कहा कि आपको गैर-मुस्लिम वोट मिलना असंभव है। लेकिन मैंने इन सभी दीवारों को तोड़कर हर समुदाय से जुड़ने का प्रयास किया। आज मुझे अपनी लोकसभा पर गर्व है।”
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इकरा हसन ने साझा किया कि जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा, तो कई लोगों ने उन्हें सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और मतदाताओं के बीच विभाजन की राजनीति का सामना करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा, “लोगों ने मुझे बताया कि इतने बड़े हिंदू मतदाता वर्ग के बीच मेरी जीत की संभावना नहीं है। लेकिन मैंने इन धारणाओं को गलत साबित किया। मैंने हर धर्म, जाति और वर्ग के लोगों के बीच जाकर उनसे जुड़ने की कोशिश की।”
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इकरा हसन ने कहा कि उनका उद्देश्य राजनीति में सांप्रदायिकता के बजाय समावेशिता लाना है। उन्होंने बताया कि उनके लिए हर मतदाता की समस्याएं और जरूरतें समान हैं, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से संबंधित हो। उन्होंने कहा, “मुझे अपनी लोकसभा पर गर्व है, क्योंकि यहां के लोगों ने मुझे अपनी सेवा का मौका दिया, भले ही मैं किस समुदाय से हूं। यह सच्चे लोकतंत्र की ताकत है।”
इकरा हसन के अनुसार, उनके संसदीय क्षेत्र की 30% आबादी मुस्लिम है और 70% हिंदू। बावजूद इसके, उन्होंने सभी के साथ समान व्यवहार किया और जाति-धर्म की दीवारों को दरकिनार करते हुए हर समुदाय के लिए काम किया।