प्रयागराज। प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुए हादसों और अव्यवस्थाओं के बीच एक दुबई से आए श्रद्धालु ने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा, “यहां जो हालात हैं, वे जानवरों जैसे हैं। हमें घंटों भूखे-प्यासे रहना पड़ा, प्रशासन ने हमारी कोई मदद नहीं की।”
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दुबई से आए इस श्रद्धालु ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान के लिए उन्होंने पूरी श्रद्धा से प्रयागराज का रुख किया था, लेकिन यहां आकर भारी अव्यवस्था और कुव्यवस्थित भीड़ ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया।
भोजन और पानी की किल्लत: घंटों तक रास्ते में रुके रहे, लेकिन खाने-पीने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी। रातभर सड़कों पर बिताई: भगदड़ के कारण कई लोगों को खुले आसमान के नीचे ठंड में रात बितानी पड़ी सुविधाओं का अभाव: सार्वजनिक शौचालय और ठहरने के लिए आश्रय की कमी ने श्रद्धालुओं को बेहद कठिनाइयों में डाल दिया।
श्रद्धालु ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा, “दुनिया भर के लोग यहां आ रहे हैं, लेकिन हमारे साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। क्या यही आध्यात्मिकता और आस्था का सम्मान है?”
उनका कहना था कि अगर सरकार इतनी बड़ी भीड़ को संभाल नहीं सकती, तो बेहतर योजना बनानी चाहिए थी। उन्होंने मांग की कि भविष्य में इस तरह की अव्यवस्थाओं को रोका जाए, ताकि श्रद्धालुओं को सम्मानपूर्वक दर्शन और स्नान का अवसर मिल सके।
इस घटना ने प्रशासन और आयोजन समिति के दावों की पोल खोल दी है। श्रद्धालु धर्म के प्रति अपनी अटूट आस्था के साथ कुंभ में आते हैं, लेकिन अगर व्यवस्थाएं नहीं सुधारी गईं, तो यह भारत की वैश्विक छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।