Monday, May 12, 2025

यह दर्द असहनीय, हमारी कोशिश जंग खत्म करने की होगी – महबूबा मुफ्ती

श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को सरहद पार से हुई गोलीबारी में घायल हुए लोगों से अस्पताल जाकर मुलाकात की। इस दौरान महबूबा मुफ्ती ने घायलों का हाल जाना और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि यह दर्द राजनीति नहीं है, यह मानवीय है और यह असहनीय है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक बयान में कहा, “हमारे घायल अस्पतालों में हैं। हमारे परिवार आश्रय स्थलों में डरे हुए हैं। हमारे घर मलबे में तब्दील हो गए हैं, इसलिए कश्मीर शांति की पुकार करता है, युद्ध की नहीं।”

 

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उन्होंने आगे कहा, “जो युद्ध की बात करते हैं, वे हमारे बच्चों को रोते हुए नहीं सुनते और वे हमारे माता-पिता को डर और नुकसान के बोझ तले टूटते नहीं देखते। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे बड़े हों, न कि दफनाए जाएं। हमें घर चाहिए, बंकर नहीं। युद्ध की धमकी बंद होनी चाहिए। मैं उरी के पास नियंत्रण रेखा की ओर जाते हुए उन परिवारों से मिल रही हूं, जो अपने घर छोड़कर भागे हैं, उनकी असहनीय पीड़ा की कहानियां सुन रही हूं। पुरुष, महिलाएं, बच्चे सभी संघर्ष से आहत हुए हैं। सभी बिना डर के जीने के साधारण अधिकार की चाहत रखते हैं।”

 

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महबूबा मुफ्ती ने लोगों को मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने लोगों से बातचीत के दौरान कहा कि “मैं आपकी समस्या के बारे में सरकार से बात करूंगी, ताकि आम लोगों तक पूरी मदद पहुंचे। हमारी यही कोशिश होगी कि राहत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की जाए, क्योंकि मुझे पता चला है कि हमले में मकानों को काफी नुकसान पहुंचा है। मैं बताना चाहती हूं कि जंग बंद हो गई है और हमारी यही कोशिश होगी कि ये बंद ही रहे। इस जंग में सिर्फ गरीब लोग ही मारे जाते हैं।”

 

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इससे पहले, मुफ्ती ने युद्धविराम की घोषणा पर कहा था, “भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम सिर्फ एक समझौता या एक बार की घटना नहीं है, यह एक नाजुक उम्मीद है, जो पीढ़ियों से चले आ रहे घावों को भरने की दिशा में एक कदम है। कुछ लोग हैं, जो युद्ध पर पनपते हैं, जो शांति से ज्यादा युद्ध से डरते हैं। लेकिन, करुणा को नफरत से ऊपर उठना चाहिए और समझदारी से युद्ध के नगाड़ों को शांत करना चाहिए। यह युद्धविराम उस भविष्य की शुरुआत हो, जहां शांति कोई अपवाद नहीं, बल्कि आम बात हो।”

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