देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2023 का आगाज होने जा रहा है। अक्सर देखा जाता है कि केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े और खच्चरों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। केदारनाथ मंदिर के आधार शिविर गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच लगभग 18 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री घोड़े खच्चरों की सवारी करके बाबा केदार के धाम पहुंचते हैं।
इस दौरान, घोड़े खच्चरों के साथ अमानवीयता न हो, इसकी निगरानी के लिए पैदल रास्ते पर प्रांतीय रक्षक दल के 25 मेंबर्स को तैनात करने की योजना बनाई गई है। इस साल केदारनाथ धाम तक जाने वाले पैदल रास्ते पर घोड़े खच्चरों की निगरानी के लिए भी जवान तैनात रहेंगे।
इसे लेकर सूबे के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सख्त रुख अख्तियार किया है। उनका साफ कहना है कि अगर घोड़े और खच्चरों पर क्रूरता की गयी तो संचालकों पर मुकदमा दर्ज होगा। बाकायदा इसकी निगरानी के लिए प्रांतीय रक्षक दल के 25 सदस्यों को भी तैनात किया जाएगा। इसके अलावा घोड़े और खच्चरों के लिए खास व्यवस्थाएं भी की गई हैं।
इस बार चारधाम यात्रा के दौरान गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक हर एक किलोमीटर पर घोड़ों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था की गई है और घोड़ों के आराम के लिए करीब 2 हजार की क्षमता का टीन शेड बनाया गया है।
आपको बता दें कि पिछले साल केदारनाथ यात्रा के दौरान काफी घोड़े- खच्चरों की मौत हो गई थी। आरोप लगे थे कि घोड़े- खच्चरों के मालिकों द्वारा अधिक काम लेने से उनकी मौत हुई थी। ये भी आरोप लगा था कि यात्रा के दौरान घोड़े- खच्चरों के लिए किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं थी।
पशुओं की सुरक्षा और उनकी देखरेख को लेकर पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि जिस तरह से पिछली चारधाम यात्रा के दौरान खबरें आई थीं कि घोड़े- खच्चरों के साथ क्रूरता की जा रही है और काफी घोड़े खच्चरों की मौत भी हुई, जिसके बाद विभाग ने भी निरीक्षण किया था, जिसमें काफी कमियां मिली थीं। पशुओं के लिए गर्म पानी की भी व्यवस्था नहीं थी और उनके आराम करने के लिए भी किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी।
मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने से 6 महीने पहले ही 16 समीक्षा बैठक की गई हैं। इस बाहर एक किलोमीटर पर गर्म पानी के लिए गीजर की व्यवस्था की गई है। करीब 2 हजार घोड़ों के आराम करने के लिए टीन शेड बनाया गया है, जहां घोड़े आराम कर सकें। साथ ही इस बार 25 सदस्यों की एक टीम बनाई गई है, जिसमें रेवेन्यू, डॉक्टर और पुलिस के जवान होंगे। इनका काम इस बात की निगरानी करना होगा कि 18 किलोमीटर के बीच कहीं किसी जानवर के साथ क्रूरता तो नहीं हो रही है और उनको आराम करने का समय दिया जा रहा है या नहीं।
वहीं, कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि इस बार पहली बार केदारनाथ यात्रा में 10 डॉक्टर और 10 एनजीओ की तैनाती की गई है। साथ ही पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं कि अगर कोई व्यक्ति जानवरों के साथ क्रूरता करता है, तो पहले दिन ही आईपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया जाएगा।