Friday, November 15, 2024

आज सब है, केवल मनुष्य ही नहीं है !

हे प्रभो तूने मनुष्याकार जीव पैदा करने में जितना परिश्रम किया, उससे आधा चौथाई मनुष्य पैदा करने में क्यों नहीं किया? आज दुनिया बहुत आगे बढ गई है। जल, थल, आकाश पर राज्य है। पांचों भूत (अग्रि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश) वश में है।

वेद, उपनिषद, गीता, कुरान, बाइबिल, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरूद्वारे भी हैं। नहीं है तो केवल मनुष्य नहीं है। हम हिन्दू, हैं, मुस्लिम, हैं, ईसाई हैं, यहूदी है, परन्तु मानव धर्म को मानने वाले, मनुष्यता में जीने वाले, मनुष्यता का व्यवहार करने वाले मनुष्य कहां ?

हम ब्राह्मण हैं, क्षत्रिय हैं, वैश्य हैं, दलित हैं, इनसे भी आगे बढ़कर हम अग्रवाल हैं, बिश्नोई हैं, पांडे हैं, दुबे हैं, चौबे हैं, परमार हैं, जाट हैं, गुर्जर हैं, शेख हैं, पठान हैं, सैय्यद हैं, अंसारी हैं आदि हजारों हैं, परन्तु दुनिया में इतने मनुष्य होते हुए भी मनुष्य जाति को अपनी जाति मानने वाले मनुष्य कहां हैं ?

मनुष्य का आदर किसी विशेष धर्म और जाति का होने में नहीं, उसका आदर उसके सद्गुणों के कारण होगा भले ही वह किसी भी जाति से सम्बन्ध रखता हो। हम भगवान का आदर नहीं, बल्कि उनके सद्गुणों के कारण उनका आदर करते हैं, उन्हें पूजते हैं। अपने सद्गुणों के कारण ही वे पूजित हैं। आप भी परमेश्वर के कुछ गुण धारण करके तो देखिए आपको भी आदर मिलेगा, आप भी पूज्य बन सकते हैं।

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