मेरठ। कारगिल का रण मेरठ के वीर सपूतों की बहादुरी का गवाह है। हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस पर इन जवानों के शौर्य को नमन किया जाता है। अपनों को खोने वाले परिवारों का सीना अब भी गर्व से चौड़ा हो जाता है। शहीदों के परिवारों का ऋण ये देश कभी नहीं चुका पाएगा।
13 जून 1999 को मेजर मनोज तलवार और सीएचएम यशवीर सिंह शहीद हुए थे। 28 जून को लांस नायक सत्यपाल सिंह और तीन जुलाई को नायक जुबेर अहमद ने मातृभूमि की रक्षा करते-करते प्राणों की आहुति दे दी थी। पांच जुलाई को ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह हमसे दूर चले गए थे। इनके साथ इंजीनियरिंग कोर के सैपर सतीश कुमार ने भी कारगिल में बलिदान देकर देश को सुरक्षित किया था। यशवीर सिंह को मरणोपरांत वीरचक्र और सतीश कुमार को सेना मेडल से नवाजा गया।
मवाना रोड स्थित डिफेंस कालोनी ए-34 निवासी मेजर मनोज तलवार की फरवरी 1999 में फिरोजपुर पंजाब में तैनाती हुई। वे देश के लिए कुछ करना चाहते थे, उन्होंने सियाचिन में नियुक्ति की मांग कर दी। कारगिल में युद्ध हुआ तो उनकी बटालियन को भेजा गया। 13 जून को उन्होंने कारगिल सेक्टर टिकटोक में तिरंगा फहरा दिया। इसी बीच दुश्मन की तोप के गोले के वह शहीद हो गए। उनके पिता रिटायर्ड कैप्टन पीएस तलवार का कुछ दिन पहले ही निधन हो चुका है। मां ऊषा तलवार का निधन कई वर्ष पहले हो गया था। परिवार में छोटे भाई और बहनें हैं।