देहरादून। एक ओर जहां अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रेरणा से उत्तराखंड में सीता माता मंदिर बनाने का निर्णय लिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रेरणा से ऐतिहासिक सीतामाता परिपथ (सर्किट) की तीन दिवसीय पदयात्रा का 24 नवम्बर को सफलतापूर्वक समापन हुआ। यात्रा से त्रिवेंद्र सिंह ने 21 नवंबर को कोटद्वार स्थित सिद्धबली मंदिर में बजरंगबली की पूजा अर्चना कर इस ऐतिहासिक यात्रा की कुशलता के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने संकटमोचन बजरंगबली से उत्तरकाशी, सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के सकुशल बाहर आने के लिए भी प्रार्थना की। कोटद्वार से देवप्रयाग होते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने मां गंगा और भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना की और सीतामाता सर्किट पदयात्रा प्रारंभ की। पदयात्रा में सियाराम के नाम की धुन गूंजती रही। पदयात्रा रघुनाथ मंदिर से होते हुए विदाकोटी- सीताकोटी और पहले पढ़ाव मुछियाली में ठहरी।
सीतामाता सर्किट पदयात्रा के द्वितीय दिवस 23 नवम्बर को सीतामाता मंदिर, मुछियाली में पूर्व सीएम ने भक्तजनों के साथ पूजा अर्चना कर माता सीता का आशीर्वाद लेकर कर लक्ष्मण मंदिर देवल के लिए प्रस्थान किया। देवल स्थित प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर यात्रा पहुँचने पर उसका जोरदार स्वागत हुआ। पदयात्रा के अंतिम दिवस 24 नवम्बर को पूर्व सीएम ने भक्तजनों के साथ मिलकर लक्ष्मण मंदिर, देवल में दर्शन एवं पूजा अर्चना की। इसके बाद वाल्मीकि मंदिर कोटसाड़ा से मंसार मेला व सीतामाता समाधि स्थल फलस्वाड़ी पहुंचे।
पदयात्रा के दौरान जिन जिन मंदिरों में पूजा अर्चना की गई सभी में उत्तरकाशी, सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के सकुशल बाहर आने के लिए भी प्रार्थना की गई। यात्रा मंसार मेला व सीतामाता समाधि स्थल फलस्वाड़ी पहुंची सभी ने जोरों सोरों से बड़े ही उत्साह और सिया राम के नोरों से स्वागत किया। हजारों लोग इस पदयात्रा के साक्षी बने। पदयात्रा जहा जहां से होकर गुजरी ग्रामीणों ने सियाराम के नारों से भक्तजनों का उत्साह बढ़ाया और यात्रा के सहभागी बने।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि जिस प्रकार से रामसेतु को बनाने के लिए गिलहरी ने भी अपना योगदान दिया ठीक उसी प्रकार सीतामता सर्किट पदयात्रा में हर व्यक्ति सहयोगी बना, किसी ने भोजन करवाया, किसी ने पानी पिलवाया किसी ने रात्रि में सोने की व्यवस्था और किसी ने सियाराम ने नारों से पदयात्रा में जोश बढ़ाया।
पूर्व सीएम ने कहा कि जटायु ने माता सीता की सुरक्षा कर नारी सुरक्षा का पूरे जगत के लिए एक उदाहरण पेश किया था। तो सीतामाता समाधि स्थल फलस्वाड़ी में जटायु का भी मंदिर बनाने के लिए समिति काम करेगी। उन्होंने कहा कि रामसेतु में गिलहरी के योगदान की भावना के अनुरूप ही हमें चलना है तभी हमारे संकल्प पूरे होंगे, पूर्व सीएम ने सीता माता मंदिर को बनाने के लिए हर घर से एक पत्थर और मिट्ठी को लाने का विशेष आह्वान किया। पूर्व सीएम ने इस ऐतिहासिक यात्रा में सहभागी बने, सहयोगी बने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।