प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी व पुलिस कमिश्नर प्रयागराज, गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर को एक टीम गठित कर शादी कराने व प्रमाणपत्र जारी करने वाले ट्रस्ट, सोसायटी व मस्जिदों का निरीक्षण कर नियंत्रित करने तथा अपना सुझाव देने का आदेश दिया है।
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कोर्ट ने कहा है कि कमेटी में एसीपी रैंक का अधिकारी, सहायक निबंधक सोसायटी एवं चिट्स फंड, विवाह पंजीकरण अधिकारी व मंडलायुक्त की सहमति से एक व्यक्ति रखे जाय। कमेटी विवाह कराकर प्रमाणपत्र देने वाली पंजीकृत या गैर पंजीकृत सोसायटी, पुरोहित व मौलवी से सम्पर्क कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर अगली सुनवाई की तिथि पर पेश करें।
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कोर्ट ने कहा कि ऐसी संस्थाओं की सूची अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अश्वनी कुमार त्रिपाठी से प्राप्त कर लें। याचिका की अगली सुनवाई 19 नवम्बर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने शनिदेव व अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
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फर्जी कूटरचित विवाह प्रमाणपत्रों के मामले में राज्य की ओर से अपर महाधिवक्ता पी के गिरी व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अश्वनी कुमार त्रिपाठी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा है कि कमेटी पता लगायें कि विवाह प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थाएं हिन्दू विवाह अधिनियम व बाल विवाह कानून के प्रावधानों का पालन करती है या नहीं। कोर्ट ने निकाहनामा जारी करने वाले मौलाना व उलेमाओं की भी जांच करने के लिए आदेशित किया है।
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मालूम हो कि घर से भाग कर आर्य समाज प्रयागराज से प्रमाणपत्र लेकर आये एक जोड़े ने हाईकोर्ट में सुरक्षा की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने पुजारी व आर्य समाज के अधिकारी को तलब किया तो उन्होंने शादी कराने व प्रमाणपत्र जारी करने को सिरे से नकार दिया।
उन्होंने कहा कि फर्जी प्रमाणपत्र है। जिस पर कोर्ट ने आईजी, एआईजी स्टैंप, सहायक निबंधक सोसायटी पंजीकरण प्रयागराज, पुलिस कमिश्नर प्रयागराज व डीसीपी यमुनानगर, पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर को कार्रवाई का आदेश दिया और कृत कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी। अधिकारियों ने कृत कार्यवाही की रिपोर्ट पेश की। इसके बाद कोर्ट ने तीनों जिलाधिकारियों को कमेटी गठित कर जांच कर सुझाव सहित रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।