मुंबई। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने गुरुवार को शिवसेना (यूबीटी) के बांद्रा पूर्व में उसके ‘शाखा’ कार्यालय को अवैध बताते हुए उस पर बुलडोजर चला दिया। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी की ‘शाखा’ निर्मल नगर में स्थित थी। इसे शिवसेना (यूबीटी) के एक प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता था।
बड़ी बात यह है कि ‘शाखा’ ठाकरे के बंगले ‘मातोश्री’ से महज कुछ ही दूरी पर थी। बुलडोजर एक्शन पर पार्टी नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आई।
शिवसेना (यूबीटी) के सीनियर नेता और सांसद अरविंद सामंत ने बीएमसी के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि ‘शाखा’ 40 साल से अधिक पुरानी थी। इसे अचानक अवैध कैसे घोषित कर दिया गया? क्या बीएमसी राज्य सरकार की धुन पर नाच रही है?
सामंत ने आगे कहा, शिंदे-फडणवीस की सरकार इस तरह की प्रतिशोधात्मक कार्रवाईयों से बेहद निचले स्तर तक गिर गई है। लोग सबकुछ देख रहे हैं और इसके नतीजे भी सामने आएंगे।
शिवसेना (यूबीटी) के एक अन्य नेता हाजी ए. खान ने बिना किसी नोटिस के अचानक पुरानी ‘शाखा’ को तोड़ने के लिए बीएमसी की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मैंने उनके साथ जुड़ने के लिए 10 करोड़ रुपये के उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने मुझे पुलिस, सीबीआई, ईडी, आईटी आदि से कार्रवाई की धमकी भी दी। हम इन हथकंडों से नहीं डरेंगे और उद्धव ठाकरे का समर्थन करते रहेंगे।
मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं की आलोचना को खारिज करते हुए कहा, यदि ‘शाखा’ अवैध है तो उसे हटा दिया जाएगा।
बता दें कि बीएमसी का एक्शन, नगर निकाय में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में एक जुलाई को बीएमसी मुख्यालय तक मेगा विरोध मार्च की घोषणा के कुछ दिनों बाद हुआ है।
विरोध मार्च आयोजित करने का ऐलान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की घोषणा के बाद हुआ है। शिंदे ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के दौरान बीएमसी के 12,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी की जांच मुंबई पुलिस की विशेष जांच टीम करेगी।