लखनऊ। अपनी मांगों के समर्थन में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने गुरूवार शाम से 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि 16 मार्च की रात दस बजे से प्रदेश के बिजली कर्मचारी 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल करेंगे जबकि गुरूवार को ही देश भर में उप्र के बिजली कर्मियों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे।
समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन की हठवादिता के चलते बिजली कर्मियों पर हड़ताल थोपी जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल तीन दिसम्बर को हुए समझौते में ऊर्जा मंत्री ने मांगों पर विचार के लिये 15 दिन का समय मांगा था मगर 112 दिन बीतने के बाद भी समझौते के प्रमुख बिन्दुओं के क्रियान्वयन की दिशा में कुछ भी कदम नहीं उठाया जा रहा है।
उन्होने कहा कि ओबरा और अनपरा ताप संयंत्र की 800-800 मेगा वाट की नई इकाईयां को उत्पादन निगम से छीन कर एनटीपीसी को दिये जाने, पारेषण के निजीकरण को रोकने व अन्य न्यायोचित मांगों के सार्थक समाधान किये जाने समेत अन्य मांगों को पूरा करने के बजाय शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन कर रहे बिजली कर्मियों को पुलिस उत्पीड़न की धमकी दी जा रही है।
बिजली इंजीनियरों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की अपील करते हुये कहा कि बिजली कर्मियों का उ्देश्य हड़ताल कदापि नहीं है बल्कि यह हड़ताल उन पर थोपी जा रही है। यदि समझौते का क्रियान्वयन व अन्य न्यायोचित मांगों के सार्थक समाधान हो जाये तो बिजली कर्मी पूरी निष्ठा से दिन-रात कार्य कर उप्र को बिजली आपूर्ति के मामले में शीर्ष दर्जा दिलाने में सक्षम हैं।
दुबे ने कहा कि शांतिपूर्ण कार्य बहिष्कार के दौरान यदि पुलिस किसी भी कर्मचारी अथवा इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई करती है तो कर्मचारियों की हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है।