लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 1,26,371 शिक्षकों की नियुक्ति कर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों की दशा और दिशा बदलने का कार्य किया है। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने विधानसभा में यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकार छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करने और शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। सिर्फ शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं, सरकार खेलकूद और सर्वांगीण विकास को भी प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि 2017 के बाद परिषदीय विद्यालयों में व्यापक सुधार लाते हुए सरकार ने आधुनिक सुविधाओं और उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा का सपना साकार करने की दिशा में तेजी से काम किया है। प्रदेश में विद्यालय बंद करने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि, उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करके निजी स्कूलों के समकक्ष बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने शिक्षकों की नियुक्ति, छात्रों की संख्या और विद्यालयों के विकास को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि सरकार छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित करने और शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है। 2018 में 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत 45,567 शिक्षकों को नियुक्त किया गया। इसके बाद 2020-21 में 69,000 भर्ती प्रक्रिया में 69,000 शिक्षकों को नियुक्ति दी गई। 2023-24 में 12,460 प्राथमिक सहायक अध्यापकों की भर्ती हुई। कुल मिलाकर सरकार ने अब तक 1,26,371 शिक्षकों की नियुक्ति की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार इन मामलों की गंभीरता से पैरवी कर रही है और नियुक्तियों को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए संजीदा है। भविष्य में जरूरत के अनुसार नई नियुक्तियों पर विचार किया जाएगा। सरकार शिक्षा के साथ-साथ छात्रों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। विद्यालय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही है और खेल उपकरणों के लिए धनराशि भी आवंटित की गई है ताकि छात्रों की प्रतिभा को प्रोत्साहित किया जा सके।
मंत्री ने कहा कि 2017 के पहले परिषदीय विद्यालयों की स्थिति खराब थी। सरकार ने 19 अलग-अलग मानकों पर कार्य करते हुए इन विद्यालयों की तस्वीर बदलने का काम किया है। सरकार की मंशा किसी भी विद्यालय को बंद करने की नहीं है, बल्कि आधुनिक और उच्च स्तरीय सुविधाओं वाले विद्यालय खोलने की दिशा में काम किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य सरकारी विद्यालयों में निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराना है और शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।