नई दिल्ली। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को इस बार लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने जालोर-सिरोही सीट से उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद अपने चुनाव प्रचार को धार देने के क्रम में वैभव गहलोत अपने पिता अशोक गहलोत के साथ दक्षिण भारत के दौरे पर पहुंचे।
वह पिता के साथ तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के साथ ही कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु पहुंचे थे।
अब लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि जब वैभव गहलोत को पार्टी ने जालोर-सिरोही से प्रत्याशी बनाया है तो वह दक्षिण भारत में क्या कर रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब राजस्थान में सरकार के रहते हुए वहां के स्थानीय लोगों को समझाने में अशोक गहलोत विफल रहे तो फिर वह क्या दक्षिण भारत में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों को मना पाएंगे?
कांग्रेस पार्टी अशोक गहलोत की अगुवाई में राजस्थान विधानसभा का चुनाव हार गई। विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह साफ देखने को मिल रही थी। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री और उनके सुपुत्र वोट मांगने दक्षिण भारत जा रहे हैं तो वहां के मतदाताओं पर क्या वह असर छोड़ पाएंगे।
दरअसल, अशोक गहलोत और वैभव गहलोत चेन्नई और बेंगलुरु में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों से मुलाकात करने और स्वयं के पक्ष में समर्थन करने की अपील कर रहे थे।
अशोक गहलोत और वैभव गहलोत चेन्नई में स्थित गुजराती जैन वाड़ी में स्नेह मिलन कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में दोनों ने अपना संबोधन दिया और यहां कार्यक्रम में शामिल सभी प्रवासी बंधुओं से जालोर-सिरोही सीट पर कांग्रेस के समर्थन में वोट करने की अपील भी की।
कार्यक्रम में प्रवासी राजस्थानियों की भीड़ उमड़ी थी, जो तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्से में रहते हैं। इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद दयानिधि मारन और मंत्री पीके शेखर बाबू भी मौजूद थे। वहीं, इसमें राजस्थान कांग्रेस के भी कई नेता उपस्थित थे।
इसके बाद अशोक गहलोत और वैभव गहलोत बेंगलुरु पहुंचे और प्रवासी राजस्थानियों से भेंट की। वहां वैभव गहलोत ने लोगों से मिलने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”राजस्थान की प्रगति में आपका योगदान प्रशंसनीय है। लोकसभा चुनाव 2024 में आपका कांग्रेस को समर्थन प्रदेश की तरक्की में अहम होगा।”
यहां आकर वोट अपील करने के पीछे वैभव गहलोत और अशोक गहलोत की सोच यह थी कि बड़ी संख्या में राजस्थानी प्रवासी दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में रहते हैं और अपना व्यवसाय और रोजगार करते हैं। इनका वोट राजस्थान में है। लिहाजा इसका फायदा राजस्थान के नेताओं को ही मिलना है। इसमें जोधपुर और जालोर-सिरोही के मतदाताओं की संख्या बड़ी है।
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को उनके गृह क्षेत्र जोधपुर से प्रत्याशी बनाया गया था। लेकिन, इस बार पार्टी ने उनको जालोर-सिरोही सीट से प्रत्याशी बनाया है।
दरअसल, 2019 में वैभव गहलोत भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत से चुनाव हार गए थे, भाजपा की तरफ से इस बार भी शेखावत को यहीं से टिकट दिया गया है। 2019 में वैभव गहलोत ने जब यह सीट गंवाई थी तब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत वहां के मुख्यमंत्री थे। इसी के बाद जब राजस्थान विधानसभा के चुनाव हो रहे थे तो इससे पहले गहलोत सरकार ने प्रदेश के लोगों के लिए कई लोक-लुभावन घोषणाएं की।
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्रों पर तब कांग्रेस की और खासकर अशोक गहलोत की नजर थी। उस इलाके को तब गहलोत सरकार की योजनाओं का खूब लाभ मिला और तभी से अनुमान लगाया जाने लगा था कि इस सीट पर कांग्रेस कुछ अलग करने वाली है।
इस क्षेत्र में वैभव गहलोत की सक्रियता भी खूब बढ़ गई थी। इस सीट पर भाजपा की तरफ से वैभव गहलोत के खिलाफ लुंबाराम चौधरी मैदान में हैं, जो पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता और जिला परिषद के सदस्य हैं।