शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून कहर बरपा रहा है। मानसून ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा रखी हैं। भारी बारिश के कारण जगह-जगह भूस्खलन होने से सामान्य जनजीवन प्रभावित हो रहा है। राजधानी शिमला में सोमवार दोपहर बाद करीब चार बजे हुए भारी भूस्खलन ने लोगों को डरा दिया। भूस्खलन की घटना एमएलए क्रासिंग में कालका-शिमला हाइवे से सटी सड़क पर हुई। यहां पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा और पेड़ सड़क पर गए। गनीमत यह रही कि पहाड़ी के धीरे-धीरे दरकने पर चालकों ने अपने वाहन पीछे ही रोक दिए थे, अन्यथा बड़ा हादसा पेश आ सकता था। इस भूस्खलन से उपनगर बालूगंज को जाने वाली सड़क पूरी तरह बंद हो गई है और वाहनों की आवाजाही वैकल्पिक मार्ग से की जा रही है। जिस जगह भूस्खलन हुआ, वहां लोगों के बैठने के लिए रेन शेल्टर भी है। इसके अलावा बसों का स्टॉपेज भी है।
बालूगंज, समरहिल और टूटू सहित निचले हिमाचल के लिए भी इसी सड़क से आवाजाही होती है। भूस्खलन के समय बड़ी संख्या में लोग बसों के इंतज़ार में खड़े थे। पहाड़ के धीरे-धीरे दरकने की वजह से वाहन चालकों व राहगीरों को सम्भलने का मौका मिल गया और वे भागकर सुरक्षित जगह पहुंच गए।
शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि भूस्खलन से किसी तरह का जानी नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस जगह अभी और भूस्खलन आने की आशंका बनी हुई है, क्योंकि पहाड़ी से मलबा धीरे-धीरे गिर रहा है। भूस्खलन वाली जगह लोकनिर्माण विभाग का रेन शेल्टर है, जिसे नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन और मलबा आने पर रेन शेल्टर तबाह हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने भूस्खलन की आशंका से सड़क के आसपास की जगह को भी आवाजाही के लिए बंद कर दिया है।
बता दें कि राज्य के विभिन्न भागों में बीती रात से बारिश का दौर जारी है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आगामी 21 अगस्त तक भारी वर्षा की चेतावनी दी है। मैदानी और मध्यपर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया गया है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार प्रदेश भर में 146 सड़कें भूस्खलन से बंद हैं। शिमला जिला में 48, मंडी में 43, कुल्लू में 33, कांगड़ा में 10, सोलन में पांच, है। में तीन, किन्नौर में दो और बिलासपुर व ऊना में एक-एक सड़क बाधित है। हालांकि राज्य के सभी राष्ट्रीय उच्च मार्गों व राज्य उच्च मार्गों पर वाहनों की आवाजाही जारी है। भारी वर्षा से पूरे प्रदेश में 301 ट्रांसफार्मर खराब पड़े हैं। इनमें मंडी में 151, चम्बा में 83, हमीरपुर में 33, कुल्लू में 29 औऱ किन्नौर में पांच ट्रांसफार्मर शामिल हैं। इसके अलावा कुल्लू में 19 व बिलासपुर में एक पेयजल परियोजना भी बंद है।
मौसम विभाग के अनुसार बिलासपुर जिला के नैनादेवी में सबसे ज्यादा 142 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई है। वहीं कांगड़ा के बैजनाथ में 120, गुलेर में 78, घाघस में 60, बिलासपुर सदर में 60, जोगिन्दरनगर में 57, भराड़ी में 50, पालमपुर में 47, कांगड़ा में 44 और धर्मशाला में 42 मिमी वर्षा हुई।
मानसून सीजन के पिछले 52 दिनों में बादल फटने, बाढ़ व भूस्खलन की 86 घटनाएं सामने आई हैं। इनमें 34 लोगों की मौत हुई औऱ 33 लापता हैं। पांच लोग चोटिल हुए हैं। इन घटनाओं में 83 घर ध्वस्त हुए और 38 को आंशिक नुकसान हुआ। इसके अलावा 17 दुकानें और 23 पशुशालाएँ भी धराशायी हुईं। 31 जुलाई की रात्रि शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी।