Friday, November 22, 2024

मतदाता दिवस 25 जनवरी…मतदाता को सशक्त, सतर्क और जागरूक करने का दिन राष्ट्रीय मतदाता दिवस

लोकतंत्र में चुनाव और मतदान एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। देश के सभी नागरिकों को वोट देने का मौलिक अधिकार है, और जिम्मेदारी भी। उन्हें देश का नेतृत्व कर सकने, आम लोगों की समस्याओं का समाधान कर बदलाव ला सकने योग्य नेताओं को चुनने का अधिकार है। मतदान सामाजिक न्याय, विकास और सामाजिक समानता की दिशा में प्रगति के उद्देश्य से एक लोकतांत्रिक समाज की मौलिक आवश्यकता है।

मतदान लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक होता है। यह आम जनता की आवाज़ को सुनने और विचारों को समर्थन देने का माध्यम होता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मतदान किसी त्योहार से कम नहीं होता है। लोग अपने मतदान के लिए नहा- धोकर बिन कुछ खाए -पिए सुबह से ही मतदान केंद्रों तक उमड़ पड़ते हैं। पहले मतदान, फिर जलपान की नारा के बाद मतदाता किसी पर्व अर्थात देवपूजन की भांति उपवास कर मतदान के लिए मतदान केंद्रों तक पहुंचते हैं, और मतदान करने के बाद ही जलपान अर्थात अन्न जल ग्रहण करते हैं।

भारत देश में निरपेक्ष और सुचारू चुनाव का जिम्मा भारत निर्वाचन आयोग के पास है। इस संवैधानिक निकाय का गठन 25 जनवरी 1950 को भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से भारत के प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था। निर्वाचन आयोग का कार्य निर्वाचनों का पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा आयोजन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, राज्य विधानसभा का चुनाव, निर्वाचक नामावली तैयार करने, राजनैतिक दलों का पंजीकरण करने, राजनैतिक दलों का राष्ट्रीय, राज्य स्तर के दलों के रूप मे वर्गीकरण, मान्यता प्रदान, दलों-निर्दलीयों को चुनाव चिन्ह आवंटन, सांसद अथवा विधायक की अयोग्यता (दल बदल को छोडकर) पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सलाह प्रदान और गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को निर्वाचन के लिए अयोग्य घोषित करना है।

चुनाव आयोग किसी व्यक्ति को उसके निवास अर्थात रहने वाले स्थान पर मतदान करने की अनुमति देता है। मतदान दो अथवा दो से अधिक अलग-अलग स्थानों से किए जाने पर इसे अपराध माना जाता है। अठारह वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने पर कोई भी व्यक्ति भारत के नागरिक के रूप में स्वयं को मतदाता के रूप में नामांकित कर सकता है। वह इसके लिए अपनी सम्पूर्ण जानकारी सहित चुनाव आयोग के वेबसाइट पर स्वयं ऑनलाइन आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकता है, अथवा अपने क्षेत्र के मतदान केंद्र पदाधिकारी को आयोग की नामांकन संबंधी प्रपत्र- 6 भरकर दे सकता है। चुनाव आयोग हर पांच वर्ष में और चुनाव से पहले मतदाता सूची को संशोधित करता है। मतदान के समय निर्वाचन फोटो पहचान पत्र अर्थात वोटर आईडी ले जाना जरूरी नहीं है, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड आदि के माध्यम से अपनी पहचान सुनिश्चित कर मतदान किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी भारतीय विदेशी आंग्ल सरकार द्वारा निर्मित भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा ही शासित होने का गौरव प्राप्त कर रहे थे। स्वतंत्र भारत के सरकार द्वारा  26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम 1935 को हटाकर 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगाकर 211 विद्वानों द्वारा बनाए गए भारत के संविधान को भारत में लागू किए जाने और भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किए जाने बाद भारतीयों को स्वाधीन भारत के स्वशासन से गौरवान्वित महसूस करने अवसर प्राप्त हुआ। 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस घोषित करने के एक दिन पूर्व 25 जनवरी 1950 को भारत चुनाव आयोग की स्थापना हुई थी। संसार में भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदान को लेकर कम होते रुझान को देखते हुए 2011 में राष्ट्रीय मतदाता दिवस के आयोजन की आवश्यकता महसूस हुई, तो नए मतदाताओं के पंजीकरण और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित, सुविधा प्रदान और अधिकतम करने के उद्देश्य से पहली बार 2011 में राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाए जाने का निश्चय किए जाते समय भारतीय चुनाव आयोग के स्थापना दिवस 25 जनवरी को यह दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। भारत निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस को स्मरण करने, भारत के नागरिकों को मतदान का महत्व बताने, मतदान के प्रति जागरूक करने और देश के विकास को सही मार्ग देने हेतु योग्य उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदाताओं, विशेष रूप से युवा वर्ग की भागीदारी बढ़ाने के लिए भारत में 2011 से प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई। इसकी शुरुआत के पीछे भारत निर्वाचन आयोग का उद्देश्य देश भर के सभी मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में उस वर्ष एक जनवरी को अठारह वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके योग्य पात्र मतदाताओं की पहचान करना, योग्य पात्र मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में पंजीकृत करना और उन्हें निर्वाचन फोटो पहचान पत्र सौंपना है।
अधिक मतदाता, विशेष रूप से नए मतदाता बनाने, सार्वभौम वयस्क मतदान को पूर्ण वास्तविक स्वरूप प्रदान कर भारतीय लोकतंत्र की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए मतदाताओं में मतदान प्रक्रिया में कारगर भागीदारी सुनिश्चितता हेतु जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस से संबंधित कार्यक्रम का आयोजन निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार देश के सभी मतदान केंद्रों पर संबंधित मतदान केंद्र पदाधिकारी के द्वारा किया जाता है और समूचे देश में शिक्षित मतदाताओं, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं को आकर्षित करने के लिए व्यापक और सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा और मतदान भागीदारी अभियान चलाया जाता है। इस महत्त्वपूर्ण दिवस का आयोजन सभी भारतवासियों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है और यह भी बताता है कि हर व्यक्ति के लिए मतदान करना ज़रूरी है। इस अवसर पर सभी मतदान केंद्रों पर मतदान केंद्र पदाधिकारियों के द्वारा उपस्थित लोगों को राष्ट्रीय मतदाता दिवस की शपथ दिलाई जाती है- हम भारत के नागरिक, लोकतंत्र में आस्था रखने वाले शपथ लेते हैं कि हम देश की स्वतंत्रत, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की लोकतांत्रिक परम्परा को बरकरार रखेंगे। प्रत्येक चुनाव में धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, भाषा आधार पर प्रभावित हुए बिना निर्भीक होकर मतदान करेंगे। इस दिन चुनाव संबंधित कार्यों को निष्पादित करने वाले सरकारी सेवकों, मतदान केंद्र पदाधिकारियों और अन्य लोगों को सर्वोत्तम निर्वाचन प्रक्रिया अपनाने में असाधारण कार्य करने के लिए विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इनमें आईटी पहल, सुरक्षा प्रबंधन, चुनाव प्रबंधन, सुलभ चुनाव, मतदाता सूची और मतदाता जागरूकता तथा आउटरीच में योगदान जैसे क्षेत्र शामिल होते हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार सरकारी विभागों, मीडिया संगठनों और महत्वपूर्ण हितधारकों को मतदाता जागरूकता के लिए उनके बहुमूल्य योगदान के लिए दिए जाते हैं। संसार के सबसे बड़े एवं सबसे जीवंत लोकतंत्र में समावेशी, सुलभ, नैतिक, भागीदारी और उत्सवपूर्ण चुनावों की भावना के उत्सव राष्ट्रीय मतदाता दिवस को राष्ट्रीय, राज्य, जिला, निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र स्तरों पर मनाया जाता है, जो इसे देश के सबसे बड़े समारोहों में से एक बनाता है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस वोट की शक्ति के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी के प्रति व्यक्ति की भावना और आकांक्षा को व्यक्त करता है। चुनाव प्रक्रिया के उत्सव और समावेशिता को प्रदर्शित करते हुए संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है। देश के प्रत्येक मतदाता की भागीदारी का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास करता है। इस दिन विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सरकारी व गैरसरकारी संगठनों में मतदान से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें मतदान के महत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। लोगों को मतदान करने के लिए प्रोत्साहित और उन्हें उनके मताधिकार की महत्वपूर्णता के बारे में जागरूक किया जाता है, ताकि वे सकारात्मक रूप से समाज में भागीदारी कर सकें और देश के निर्माण में योगदान कर सकें। राष्ट्रीय मतदाता दिवस भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है। यह भारत के मतदान अधिकार और लोकतंत्र का उत्सव मनाने का दिन है। मतदान देश के प्रगति और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर व्यक्ति को मतदान का अधिकार है, और उन्हें इसे प्रयोग करना ही चाहिए। मतदान सिर्फ एक क्रिया नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है, जो हमें अपने देश के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक बनाती है। इस दिन भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र के प्रत्येक चुनाव में भागीदारी की शपथ लेनी चाहिए, क्योंकि भारत के प्रत्येक व्यक्ति का वोट ही देश के भावी भविष्य की नींव रखता है। इसलिए हर एक व्यक्ति का वोट राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनता है। इसके लिए यह स्मरण रखना आवश्यक है कि कोई भी मतदाता मतदान करने में पीछे न रह जाए। और मतदाता सूची में शामिल सभी मतदाता सशक्त, सतर्क, सुरक्षित और जागरूक बनें।
-अशोक प्रवृद्ध

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