मुजफ्फरनगर-उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की ‘बुलडोजर नीति’ जहां प्रदेश और देश में धूम मचाए हुए हैं, वहीं प्रदेश में बेलगाम अफसरशाही जनता के लिए परेशानी का कारण बनती जा रही है, कभी कानपुर में मां-बेटी अफसर शाही की शिकार बन रही है, तो कभी मुरादाबाद की युवती अफसरों की उपेक्षा के चलते आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रही है।
मुजफ्फरनगर में भी एक परिवार अफसरशाही का शिकार बन गया है और कई अभी बनने की कतार में है, जो परिवार अफसरशाही का शिकार बना है, वह मुजफ्फरनगर में संघ और भाजपा का सबसे पुराना परिवार है, जिसे अपना रोज़गार ही बंद करना पड़ा है।
आपको याद दिला दें कि कुछ महीने पहले मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के सचिव आदित्य प्रजापति ने मुजफ्फरनगर शहर में कई बैंकट हॉल को नोटिस जारी किए थे, उनके मुताबिक जनपद में ज्यादातर बैंकट हॉल बिना नक्शे के संचालित हो रहे हैं, इसीलिए उन सब को नोटिस जारी किए गए थे।
भोपा रोड पर स्थित वृंदावन गार्डन समेत कुछ बैंकट हॉल को सील भी कर दिया गया था, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल और केंद्र सरकार में मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने उस समय जिला प्रशासन और विकास प्राधिकरण से बात की कोशिश की थी, लेकिन बैंकट हॉल मालिकों को कोई राहत नहीं दिला पाए थे। बैंकटहॉल मालिक दोनों मंत्रियों
से लगातार गुहार लगा रहे थे और मंत्री उन्हें कोई कार्यवाही न होने का आश्वासन भी दे रहे थे लेकिन जिला प्रशासन ने दोनों मंत्रियों की भी कुछ नहीं सुनी थी।
जिसके बाद जिला प्रशासन ने शपथ पत्र लिया था कि 28 फरवरी तक विवाह समारोह के लिए बैंकट हॉल बुक हैं, इसलिए 28 फरवरी तक चलाए रखने की मंजूरी दी गई थी। इस मंजूरी में यह शर्त थी कि 28 फरवरी तक बैंकट हॉल मालिक या तो नक्शा स्वीकृत करा लेंगे या बैंकट हॉल बंद कर देंगे।
28 फरवरी बीतने के बाद अभी विकास प्राधिकरण तो चुप है, इसी बीच भोपा रोड स्थित वृंदावन गार्डन ने अपना बैंकट हॉल बंद कर दिया है और उसे तोड़ना शुरू कर दिया है। इस बैंकट हॉल के मालिक और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े पंकज जैन के मुताबिक इस बैंकट हॉल का नक्शा पास कराने में डेढ़ करोड़ से ज्यादा राजस्व देना पड़ता, जो संभव नहीं है, इसी के चलते उन्होंने बैंकट हॉल बंद कर दिया है और तोड़ना शुरू कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी जब जनसंघ के नाम से थी और दीपक चुनाव चिन्ह था, उस समय से यह परिवार भाजपा का कट्टर समर्थक है, पंकज जैन के पिता आदीश जैन भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष भी रह चुके है और नगर में भाजपा का कोई भी आयोजन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है, जो इस बैंकट हॉल में न हुआ हो और वह भी निशुल्क,लेकिन जब अपनी ही सरकार में जिला प्रशासन द्वारा बैंकट हॉल को सील किया गया तो पंकज जैन को कोई मदद नहीं मिली, जिससे पंकज जैन हताश हो गए और उन्होंने अपना बैंकट हॉल तोड़ दिया।
दरअसल पंकज जैन भाजपा नेताओं और जिला प्रशासन दोनों के रवैये से परेशान हैं, बकौल पंकज जैन केंद्रीय मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने उनकी सिफारिश क्या की, यह तो उनको जानकारी में नहीं है, लेकिन राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने विकास प्राधिकरण के सचिव आदित्य प्रजापति को उनके सामने ही फोन किया था और कुछ दिन की राहत देने की मांग की थी लेकिन विकास प्राधिकरण के सचिव ने उनकी बात को कोई तवज्जो नहीं दी, जिसके बाद पंकज जैन तत्कालीन जिलाधिकारी से मिलने गए थे तो जिलाधिकारी ने उनके साथ बहुत ज्यादा दुर्व्यवहार किया था।
पंकज जैन के मुताबिक उस समय भी सभी बैंकट हॉल से 200000 से लेकर ₹500000 तक विकास प्राधिकरण ने वसूले थे जिसके बाद फरवरी तक का समय दिया गया था। अपनी ही सरकार में अफसरों के इस रवैये से आहत पंकज जैन ने अब अपना बैंकट हॉल तोड़ दिया है।
वृंदावन गार्डन मुजफ्फरनगर के सबसे प्रमुख बैंकट हॉल में शामिल था, इसके तोड़ने के बाद अब अन्य बैंकट हॉल पर भी संकट के बादल मंडरा गए हैं, विकास प्राधिकरण के सूत्रों के मुताबिक बैंकट हॉल पर पूरी ज़मीन पर शुल्क लगता है, चाहे उस पर निर्माण हुआ हो या वह खाली मैदान हो, जिसके चलते विकास प्राधिकरण से बैंकट हॉल नक्शा पास नहीं कराते है और बैंकट हॉल चलाते रहते हैं। आगे पढ़ने से पहले पहले उस दिन की वीडियो देखे –
अब जब वृंदावन ने अपना बैंकट हॉल तोड़ दिया है तो अन्य बैंकट हॉल के सामने भी यह संकट पैदा हो गया है कि वह अपने नक्शे पास कराएं या बैंकट हॉल बंद कर दे। भोपा रोड और गांधी कॉलोनी लिंक रोड के साथ एक दिक्कत यह भी है कि यहां जितने बैंकट हॉल बने हैं, उनकी जमीन का मालिकाना हक ही अभी निर्धारित नहीं है, वैसे तो आलोक स्वरुप परिवार इस जमीन को अपनी जमीन बताता है, पर शत्रु संपत्ति के चलते यह जमीन लगातार विवादों में घिरी हुई है।
केंद्रीय मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान की शिकायत के बाद इसकी जांच हुई थी और तत्कालीन जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे सख्त रवैया भी अपनाए हुए थी लेकिन उनके तबादले के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में है, पर जब तक इस भूमि के स्वामित्व का निर्धारण नहीं हो सकता तब तक कोई बैंकट हॉल स्वीकृत नहीं हो सकता है,जिसके चलते अब इन सभी पर संकट मंडरा रहा है।
विकास प्राधिकरण द्वारा 28 फरवरी की समय सीमा के बाद इन बैंकट हॉल के बारे में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है, माना जाता है कि विकास प्राधिकरण के अफसरों के लिए बैंकट हॉल दुधारू गाय ही बनकर रह गए हैं।