नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुटी हुई हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी अपने चरम पर पहुंच चुका है। इस बीच, झुग्गीवाले मतदाताओं को साधने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और आप अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं। दिल्ली में झुग्गीवाले एक बड़ा वोट बैंक हैं, जो चुनाव परिणाम पर असर डाल सकते हैं, इसलिए पार्टियां इन्हें अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
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बीजेपी का झुग्गी-बस्ती प्रधान सम्मेलन
बीजेपी ने हाल ही में ‘झुग्गी-बस्ती प्रधान सम्मेलन’ कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने झुग्गीवासियों से कई वादे किए, जिससे पार्टी की ओर से इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी का मानना है कि झुग्गीवाले मतदाता उनकी तरफ आकर्षित हो सकते हैं और इसके लिए पार्टी कई योजनाओं का प्रस्ताव कर रही है।
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आप का प्रभाव और कांग्रेस की वापसी की कोशिश
पिछले 10 वर्षों में झुग्गीवाले मतदाताओं का एक बड़ा तबका आम आदमी पार्टी (आप) के साथ जुड़ा है। आप की मुफ्त बिजली, पानी और मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाओं ने इस वर्ग को प्रभावित किया है और वह पार्टी से जुड़े हुए हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी भी अपनी कमजोर स्थिति को मजबूत करने के लिए प्रयास कर रही है, हालांकि इस बार मुकाबला मुख्य रूप से आप और बीजेपी के बीच दिखाई दे रहा है।
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झुग्गीवाले मतदाताओं का प्रभाव
दिल्ली में कुल 750 झुग्गियां हैं, जहां करीब 3 लाख परिवार रहते हैं। दिल्ली सरकार के डेटा के अनुसार, इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग 20 लाख है। दिल्ली के कुल रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 1.5 करोड़ है, जिसमें करीब 10% आबादी झुग्गीवासियों की है। यह वोट बैंक दिल्ली की 20 विधानसभा सीटों पर अहम भूमिका निभाता है, और इसी कारण सभी प्रमुख पार्टियां इसे अपने पक्ष में करने के लिए जुटी हुई हैं।
इन आंकड़ों के मद्देनजर, आगामी विधानसभा चुनाव में झुग्गीवासियों की भूमिका और इनका वोट किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।