Saturday, April 19, 2025

शहादत की आठवीं बरसी पर शिद्दत से याद आई योद्धा ‘अमिनिका’

रांची। झारखंड के लातेहार में आठ साल पहले सीआरपीएफ के नक्सल विरोधी अभियान में शहीद हुई ‘अमिनिका’ को बलिदान दिवस पर शिद्दत से याद किया गया। उसे श्रद्धांजलि देते हुए इंटरनेट और सोशल मीडिया पर शुक्रवार को कई पोस्ट साझा किए गए। दरअसल, ‘अमिनिका’ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 207 बटालियन कोबरा यूनिट में शामिल एक खोजी कुतिया थी, जो 17 जनवरी, 2017 को नक्सलियों की तलाशी के लिए चलाए जा रहे अभियान के दौरान सबसे आगे खतरे सूंघते हुए चल रही थी।

इसी दौरान वह प्रेशर आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) की चपेट में आकर खुद तो शहीद हो गई थी, लेकिन उसने अपने पीछे आ रहे जवानों की जान बचा ली थी। ‘बेल्जियम मैलिनोइस’ नस्ल की स्निफर ‘अमिनिका’ को सीआरपीएफ ने शहीद का दर्जा दिया था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ‘ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव’ नामक हैंडल पर ‘अमिनिका’ की तस्वीर के साथ डाले गए पोस्ट में लिखा गया है, ‘हम 207 कोबरा बटालियन (सीआरपीएफ) के स्निफर डॉग ‘अमिनिका’ को उनके आठवें बलिदान दिवस पर याद कर रहे हैं।

उन्होंने 17 जनवरी, 2017 को झारखंड के लातेहार में एक आईईडी विस्फोट में सर्वोच्च बलिदान दिया था। चार पैरों वाले योद्धा को सलाम!’ ‘लेस्ट वी फॉरगेट इंडिया’ नामक एक्स हैंडल पर शेयर किए गए पोस्ट में भी ऐसी ही भावना का इजहार किया गया है। ‘अमिनिका’ को सीआरपीएफ ने बेंगलुरु के पास तरालू में विस्फोटकों को सूंघने और पता लगाने के लिए खास तौर पर प्रशिक्षित करने के बाद बटालियन में शामिल किया गया था। सीआरपीएफ की ओर से पूर्व में साझा की गई सूचना के अनुसार, वह ट्रेनिंग एकेडमी में कोर्स टॉपर थी। ‘अमिनिका’ की शहादत के एक हफ्ते बाद उसके साथ ट्रेनिंग लेने वाले उसी नस्ल का दूसरा स्निफर डॉग ‘प्लूटो’ भी छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सीआरपीएफ के इसी तरह के नक्सल विरोधी अभियान के दौरान प्रेशर आईईडी की चपेट में आकर शहीद हो गया था। पूर्व में सीआरपीएफ में तैनात रहे एक आईपीएस बताते हैं कि इन चार पैरों वाले सैनिकों ने अपनी बहादुरी से कई जवानों की जान बचाई थी और वे हमारे लिए बहुत प्रिय थे।

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‘बेल्जियम मैलिनोइस’ नस्ल वाले स्निफर डॉग को दुश्मन के इलाके में छिपे हुए बमों और खतरे को सूंघने के उनके बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है। इन कुत्तों को पहली बार अंतरराष्ट्रीय ख्याति तब मिली जब उन्होंने 2011 में पाकिस्तान में अपने सुरक्षित ठिकाने से ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में अमेरिकी नौसेना की सहायता की, तब से उन्हें ‘ओसामा हंटर’ के रूप में भी जाना जाता है। ‘बेल्जियम मैलिनोइस’ कुत्तों का महत्व इस बात से भी पता चलता है कि सीआरपीएफ, आईटीबीपी और बीएसएफ जैसे बलों के पास अब 200 से अधिक ऐसे कुत्ते हैं। नक्सल क्षेत्रों में काम करने वाली हर बटालियन के पास इस नस्ल का एक कुत्ता होता है। गश्ती दल को निर्देश दिया गया है कि वे कुत्तों को आगे रखें, ताकि उन्हें खतरों से बचाया जा सके।

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