प्रयागराज। शहीदवॉल पर दीपक जलाकर ही शहर की दीपावली पूर्ण होगी। प्रयागराज एक तीर्थ स्थल है, जहां आजादी के लिए बलिदान हुए शहीदों की गौरव गाथा अंकित है। यह इसीलिए बलिदान हुए कि हम आजादी से दीपक जलाकर दीपावली मना सकें। आज यहां दीपक जलाकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।
उक्त बातें न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी ने बुधवार को शहीदवॉल पर आजादी वाली दीपावली आजादी चाहने वालों के साथ मनाते हुए कही। उन्होंने एक दीपक जलाकर शहीदों को नमन किया और कहा कि समाज को अपना इतिहास और पूर्वजों का गौरव नहीं भूलना चाहिए। यहां जिन्होंने शहादत पाई है वह सभी हमारे पूर्वज हैं, हमारे गौरव एवं अस्मिता के प्रतीक हैं। शहीदवॉल के लिए जो बन सकेगा सब करूंगा।
भारत भाग्य विधाता के तत्वावधान में शहीदवॉल पर एक रोशनी शहीदों के नाम दीपावली आजादी चाहने वालों के साथ मनाया गया। शहीदवाल के संस्थापक वीरेंद्र पाठक ने बताया कि गुलामी के दौर में यहां पर भारतीय और कुत्तों का आना प्रतिबंधित था। 1857 के बाद अंग्रेजों ने सिविल स्टेशन क्रांतिकारियों के आठ गांव पर बनाया। जहां सिर्फ अंग्रेज ही आ सकते थे। भारतीय और कुत्ते यहां कभी नहीं आ सकते। ऐसे में इसी स्थान पर आजादी चाहने वाले शहीदों के साथ एक दीपक रोशन करके आजादी वाली दीपावली मनाना गर्व की बात है।
इस अवसर पर अनिल गुप्ता, कृष्णजी शुक्ल, शशिकांत मिश्रा अभिषेक मिश्रा, डॉ अखिलेश मिश्र, ललिता अग्रवाल, राहुल दुबे, वर्तिका शुक्ला, मोरारजी त्रिपाठी, अरविन्द मालवीय, पूनम सिंह, आशुतोष शुक्ल, एसपी श्रीवास्तव, जगत नारायण तिवारी, बाबा मिश्रा, विक्रम मालवीय, सुधीर सिन्हा, अनंत पांडे, डॉ घनश्याम मिश्रा, उत्तम बनजम, डॉ संजय तिवारी, अरूण शुक्ला, नाजिम अंसारी, लइक अहमद, आरव भरद्वाज, प्रदीप तिवारी, अजय गुप्ता आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रमोद शुक्ला ने किया।