नए घर में आए अभी कुछ ही दिन हुए थे। एक रात करीब 11 बजे पड़ोस के घर से सुरेंद्र के जोर-जोर से चिल्लाने की आवाजें सुनाई दीं। चूंकि हमारी खिड़की से उनका कमरा साफ दिखता था, इसलिए मैंने खिड़की से ही झांका। वहां का नजारा कुछ ऐसा था कि वह किसी बात पर नाराज होकर अपनी पत्नी को जोर-जोर से डांट रहे थे। उनकी पत्नी चुपचाप डरी-सी सुबक रही थी। पास ही कोने में दुबके बच्चे भी रो रहे थे।
दूसरे के घर का मामला सोचकर हमने उस घटना को टाल दिया। पर दूसरे दिन छत पर कांता और सरोज को यह कहते सुना कि कल फिर सुरेंद्र अपने रंग में आ गए थे। मेरे पूछने पर कांता ने बताया कि यह तो अक्सर होता है। सुरेंद्र अपनी पत्नी को बात-बात पर डांटते रहते हैं।
बेचारी सीधी-सी है। गांव से अचानक बड़े शहर में आ गई है। उसकी छोटी-सी भी गलती पर वह उसे बुरी तरह डांटने लगते हैं जिससे सुरेंद्र की पत्नी हमेशा डरी हुई रहती है। बाजार से सब्जी खरीदते हुए भी उसे डर लगता है कि कहीं उससे गलती न हो जाए। इसमें सुरेंद्र की पत्नी की क्या गलती है? बात-बात पर पति से डांट खाते-खाते उसका व्यवहार ही कुछ ऐसा हो गया है कि वह चुपचाप अपना काम करती रहती है। लगता है, जैसे एक डर हमेशा उसके भीतर घुसा रहता है।
हर दूसरे दिन सुरेंद्र किसी न किसी बात पर नाराज हो जाते हैं। इससे न केवल पत्नी हीनभावना से ग्रस्त हो गई है बल्कि बड़े होते बच्चे भी डरे हुए सहमे-सहमे रहते हैं।
एक किस्सा और ……: ऑफिस आते वक्त रास्ते में मोनिका का मोबाइल कहीं चोरी हो गया। ऑफिस पहुंचकर उसे पता चला कि मोबाइल उसके पास नहीं है। घबराहट, बेचैनी और डर से मोनिका अपना मोबाइल इधर-उधर ढूंढने लगी। मैंने भी मोबाइल ढूंढऩे में उसकी मदद करते हुए मोनिका को आश्वस्त किया, ‘परेशान होने की कोई बात नहीं है. अरे, मोबाइल ही चोरी हुआ है, नहीं मिलेगा तो दूसरा ले लेना। इतना तो तुम कमाती ही हो।’
‘अरे, तुम्हें पता नहीं है। मेरे पति को पता चलेगा तो वह मुझ पर बहुत गुस्सा करेंगे,’ मोनिका का जवाब था।
मोनिका ने प्रेम विवाह किया था। दोनों पति-पत्नी पढ़े-लिखे संभ्रांत परिवार के थे। दोनों ही अच्छी जगहों पर नौकरी में थे। फिर इसके मन में अपने पति से इतना डर क्यों है? आखिर वह कौन-सी चीज है जिसकी वजह से मोनिका अपने ही पति से अपनी किसी गलती या भूल पर इतना अधिक डर रही है।
अच्छा दोस्त बनें:
क्या वजह है कि स्त्राी के मन में अपने पति से ही इतना खौफ, इतना डर बैठा रहता है। पति, जो उसका जीवन साथी है, जिसे उसका सबसे अच्छा दोस्त होना चाहिए, वही अपनी पत्नी को इतना डराकर रखता है। जब हम इसकी वजह जानने की कोशिश करते हैं तो कुछ बिंदु उभरकर सामने आते हैं।
सामान्यत: स्त्री स्वभाव से बेहद कोमल होती है। भावनात्मक स्तर पर वह बहुत जल्दी अपने वश में की जा सकती है। ऐसे में जब उसका पति आक्रामक स्वभाव का होता है और अपनी पत्नी से शासक भाव रखता है तो पत्नी हीन भावना से ग्रस्त हो जाती है। उसमें अपने पति को लेकर डर बैठ जाता है, जो उसके हर निर्णय पर प्रभाव डालता है। इसका सीधा प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर भी पड़ता है और वह दब्बू किस्म की बन जाती है।
कुछ पत्नियां जानबूझकर लापरवाही बरतती हैं। वे अपने किसी भी काम के प्रति सतर्क नहीं होती हैं, भले ही उनका बच्चा गीले कपड़ों में ही सोया रहे, वे उठने के लिए टीवी का प्रोग्राम खत्म होने का इंतजार करेंगी।
कभी-कभी कुछ पत्नियां बहुत शौक से खाना तो बनाती हैं पर उसमें नमक इतना डाल देती हैं कि वह खाने लायक ही नहीं रहता। पति महोदय डाइनिंग टेबल पर बड़े चाव से खाने का इंतजार करते हैं पर नमक की वजह से पूरा मजा किरकिरा हो जाए तो पति का मूड बिगड़ेगा ही। गलती किसकी ? पर बार-बार ऐसा होने और उन्हें डांटने से पत्नी जिद्दी स्वभाव की बन जाती है या फिर भीतर ही भीतर अपनी असमर्थता से ही समझौता कर लेती है। फलत: वह हर वक्त दबी, सहमी-सी रहती है।
पैसा भी एक वजह: पति-पत्नी में तकरार का एक कारण पैसा भी होता है। पत्नी अगर खर्चीली है, उसे ठीक से बजट का ध्यान रखना नहीं आता है तो बात आगे बढ़ जाती है।
कुछ मामलों में पति अक्सर अपने कमाने का रोब अपनी पत्नी पर जताता रहता है। जब कभी पत्नी पति से रूपयों की फरमाइश करती है या अपनी कोई छोटी-सी भी इच्छा जाहिर करती है तो पति उसे डांट देता है कि तुम्हें क्या मालूम है कि पैसा कमाना कितना मुश्किल होता है। तुम्हें तो बस घर पर बैठकर हुक्म चलाना ही आता है। पति की ऐसी बातें सुनकर पत्नी अपने पति से कोई भी इच्छा जाहिर नहीं करती, बल्कि भीतर ही भीतर अपनी इच्छाओं का दमन करते-करते घुटती रहती है।
पत्नी क्या करे?
घर-परिवार के प्रति लापरवाही न बरतें।
कोई भी असंतुलित स्थिति आने पर बेहतर है कि स्थिति बिगडऩे से पहले पति से इस विषय पर बातचीत करें। स्पष्ट होकर उसे अपनी स्थिति बताएं।
यदि पति बेवजह डांटते हैं तो उन्हें यह समझाएं कि इससे बात बिगड़ भी सकती है। दोनों को एकदूसरे को प्रोत्साहित करके कदम-कदम पर साथ रहना है।
अपनी किसी प्रतिभा का उपयोग करके पति को आर्थिक मदद कर सकती हैं।
पति क्या करे?
अपने रवैए को बदले।
यदि कभी खाने में नमक ज्यादा है तो थाली फेंकने के बजाय बात को दूसरे ढंग से भी कहा जा सकता है, जैसे लगता है नमक का पैकेट आज ही खोला है, आदि बातें कहकर अपनी बात भी संप्रेषित कर दें। इससे भीतर ही भीतर उसे अपनी गलती का एहसास होगा। झूठा रोब न गांठें, न ही हुक्म जताएं। वह आपकी सहधर्मिणी है।
– नरेंद्र देवांगन