प्राचीन काल से ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति में व्रत एवं पूजा-पाठ का काफी महत्व रहा है। अनेक धार्मिक ग्रन्थों में व्रत का उल्लेख मिलता है। केवल हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि मुस्लिम धर्म में भी ‘रोजा’ के रूप में उपवास की प्रथा रही है। पूरे भारतवर्ष में व्रत रखने की परम्परा आज भी कायम है लेकिन समयाभाव और तेज रफ्तार वाली जिंदगी के कारण इसके प्रभाव में काफी कमी आई है। देश के हर कोने में अधिकांशत: महिलाओं ने ही व्रत रखने की परम्परा को जीवित बनाए रखा है। हमारे देश की लगभग सभी विवाहित महिलाएं करवाचौथ या तीज नामक व्रत अवश्य करती हैं जिसका संबंध पति की मंगल-कामना से होता है।
व्रत या उपवास मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रखा जाता है। इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति की कोई-न-कोई मनोकामना अवश्य अपूर्ण होती है जैसे किसी महिला को संतान की प्राप्ति नहंीं होती तो किसी कन्या का विवाह नहीं हो पाता, किसी के पास गुजारा करने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता। इस तरह सभी के जीवन में कोई न कोई कमी होती है जिसे भरने का प्रयास व्रत रख कर किया जा सकता है।
यह तो सभी जानते हैं कि मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत रखा जाता है लेकिन इसके और भी कई फायदे होते हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे हैं कि व्रत रखने से क्या-क्या फायदे होते हैं?
सबसे पहला फायदा यह होता है कि व्रत रखने वाला व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण रखना सीख जाता है। कोई भी व्यक्ति बिना अपने मन पर अंकुश लगाए व्रत पूर्ण नहीं कर सकता क्योंकि मन के बहकावे में आकर यदि वह कुछ खा लेता है तो उसका व्रत पूर्ण नहीं हो पाता, अत: व्रत रखने के लिए मन को वश में रखना आवश्यक है। व्रत रखने वालों का मन उनके वश में होता है और जिसका मन उसके वश में है, वह प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है।
दूसरा फायदा यह होता है कि व्रत रखनेवाले को अनुभव होता है कि भूख क्या चीज है। अधिकांश व्यक्ति भूख से पहले ही खाना खाने के आदि होते हैं या फिर जब भूख लगनी शुरू होती है तब वे खाना खा लेते हैं। इस तरह वे पूरे तौर पर भूख का अनुभव नहीं कर पाते। भूख की अनुभूति से व्यक्ति अन्य भूखे व्यक्ति के दु:खों का एहसास कर पाता है और इस तरह वह गरीबों एवं दीन दु:खियों के लिए कुछ करता है।
व्रत रखने से हमें कई प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है। यह प्रमाणित हो चुका है कि व्रत रखने से कई प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं। उपवास के जरिए अनेक रोगों का इलाज किया जाता है। ‘उपवास की सफलता’ नामक पुस्तिका में व्रत की कई विशेषताओं की जानकारी दी गई है। इस तरह से व्रत हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं न कि हमें कमजोर बनाते हैं।
कई लोग मौन व्रत रखते हैं। इससे भी अचूक लाभ होता है। मौन व्रत धारण करने से व्यक्ति व्यर्थ के वाद विवाद और झगड़ों से बच जाता है। यह तो क्षणिक लाभ है। स्थायी रूप से यह लाभ होता है कि व्यक्ति अपनी वाणी को जीत लेता है अर्थात वह जब भी कुछ बोलता है, सोच-समझ कर बोलता है। वाणी को जीतने वाला व्यक्ति कभी अपशब्दों का प्रयोग नहीं करता। मौन व्रत करने से मानसिक क्षमता में भी वृद्धि होती है।
व्रत रखने से हमारी ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं। हमारे जीवन पर ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता है। इन्हीं ग्रहों और नक्षत्रों के कारण जीवन में अच्छी-बुरी घटनाएं घटती हैं। अत: ग्रहों एवं नक्षत्रों के प्रभाव को मिटाने के लिए ज्योतिषीगण व्रत रखने की सलाह देते हैं।
व्रत रखने से आत्मशक्ति और आत्मविश्वास को बल मिलता है। जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक हो जाता है। नियमित रूप से व्रत करने वालों को अंतर्ज्ञान की प्राप्ति होती है जिसकी आवश्यकता जीवन के हर कदम पर पड़ती है।
इस तरह व्रत हमारे जीवन को सुखी एवं सुव्यवस्थित बनाते हैं। व्रत करने वाले के मन में श्रद्धा और विश्वास हो तो ये सारे फायदे बहुत कम हैं। हमें ऐसे अनगिनत फायदे होते हैं जिन्हें कहना या लिखना संभव नहीं है।
कई लोग जो भूख सहन नहीं कर पाते हैं, उनके लिए भी उपाय है। तरल पेय पदार्थ जैसे-दूध, शरबत, चाय, पानी, फलों का रस लेकर भी व्रत किया जा सकता है। कुछ लोग केवल मीठी चीजें खाकर भी व्रत रखते हैं।
व्रत रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हैं श्रद्धा और विश्वास। व्रत हमें धैर्य, सहिष्णुता और उदारता के साथ जीना सिखाता है, इसलिए हमारे जीवन में व्रत का होना आवश्यक है। अत: क्यों न आप भी अपने जीवन में व्रत रखने का संकल्प करें।
– अन्नु कुमारी सिंह