मां बच्चे को जन्म देने वाली ही नहीं, बल्कि बच्चे की निर्माता भी मां ही है। मां ही प्रथम गुरू है, मां स्वयं में एक संस्था है, बच्चे की प्रारम्भिक पाठशाला है, जहां जीवन निर्माण की नींव रखी जाती है।
परमपिता परमात्मा ने आज से लगभग दो अरब वर्ष पहले वर्तमान सृष्टि के आरम्भ में वेदों के माध्यम से देवता बनाने का विज्ञान उदघाटित किया, जिस पाठशाला का वैज्ञानिक नाम है मां। उसका पावर हाऊस है पावन गृह, जिसे अंग्रेजी में होम कहते हैं, क्योंकि उस होम (यज्ञ) में माता अपने जीवन को सानिध्य बना कर अनुशासित बच्चे की सुगन्ध से राष्ट्र को राम, कृष्ण तथा दयानन्द के समान सुगन्धित करती है।
पार्वती के समान तप करके संसार को गणेश, कार्तिकेय तथा सीता के समान साधना करके समाज को लव-कुश देती है, जीजाबाई के समान पुरूषार्थ करके राष्ट्र हेतु छत्रपति शिवाजी जैसे यौद्धा देती है, परन्तु केवल वे मां ही ऐसा कर सकती हैं, जो कौशल्या के समान पुरूषार्थी, पार्वती और सीता के समान चरित्रवान तथा अनुशासित हों।
हमारी ओर से सभी माताओं को मदर्स डे की शुभकामनाएं !