Saturday, May 10, 2025

असली संतुष्टि क्या है ?

आप बहुधा देखते हैं कि कई व्यक्ति बाहर से तो संतुष्ट नजर आते हैं, परन्तु वे भीतर से प्रसन्न और संतुष्ट नहीं होते। अपने परिवार में अपनी संतान से कई बार व्यक्ति संतुष्ट नहीं होता कि भगवान ने मुझे संतान तो दी है, किन्तु ऐसी नहीं जैसी होनी चाहिए थी। भगवान ने जो धन-दौलत मुझे दी है, ठीक है, इससे मेरा काम तो चल रहा है, किन्तु धन की कमी के कारण मेरे कई महत्वपूर्ण कार्य रूके पड़े हैं। मैं भीतर से संतुष्ट और प्रसन्न नहीं हूं।

आपकी इस असंतुष्टि में एक बड़ी हानि यह हो रही है कि आपका असंतोष आपके संचित कर्मों में जुड़ रहा है। फलस्वरूप वह शुभ फलदायक तो होगा ही नहीं। इसी कारण मनीषी हमें मन-वचन और कर्म में एकरूपता लाने का उपदेश करते हैं। हमें सभी परिस्थितियों में संतोष धारण करने के लिए सत्परामर्श देते हैं।

संतुष्टि व्यक्ति के अंदर का विषय है, बाहर का नहीं। आप बाहर से कितना भी अभिनय कर लें, परन्तु संतुष्टि तो तभी आयेगी जब आप अंदर से संतुष्ट होंगे।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय