Monday, December 23, 2024

जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है !

सदैव इस सिद्धांत में आस्था रखें कि ‘जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है।’ मुसीबत पड़ने पर इंसान दुआ करता है कि हे भगवान महंगी ‘घड़ी’ दो न दो पर मुश्किल घड़ी ना देना। वक्त अच्छा हो या बुरा, गुजर ही जाता है, परन्तु प्रभु के प्रति विश्वास बना रहना चाहिए। हमेशा जो बन पड़े दूसरों की भलाई करते रहो, क्योंकि जीवन में किसी के प्रति की गई भलाई बेकार नहीं जाती।

मौन में बड़ी ताकत है, सच्चा आदमी अपनी खामोशी से झूठे आदमी की जड़े हिला देता है। इंसान को अपनी नजर से स्वयं को ठीक रखना चाहिए, वरना दुनिया तो भगवान से भी दुखी है, उससे भी शिकायतें हैं।

दूसरों की मदद करने की नसीहत देने वाले बहुत हैं, परन्तु मददगार बहुत कम। दूसरों को मार्ग दिखाने का दावा करने वाले बहुधा अपनी मंजिल तय नहीं कर पाते।

प्यार लोगों को एक दूसरे के करीब लाता है, नफरत दूर ले जाती है। जैसा इंसान का चरित्र होता है, वैसे ही उसके मित्र होते हैं। दूसरे के रूप में रंग का उपहास उड़ाने वाले को पहले अपनी शक्ल को बारीकी से देख लेनी चाहिए। कुछ लोग हमेशा अपनी प्रशंसा चाहते हैं इसीलिए वे असंतुष्ट रहते हैं। जिस व्यक्ति की सोच नकारात्मक रहती है, वह कभी प्रसन्न नहीं रह सकता।

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