Sunday, December 22, 2024

सांप ने काटा तो बच्चे को मरा समझ नदी में बहाया, 15 साल बाद सामने आया तो हैरान रह गए माता-पिता !

देवरिया। उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। लगभग डेढ़ दशक पहले घरवालों ने जिस बेटे को सर्प दंश से मरा हुआ समझकर नदी में बहा दिया था। वह बालक अचानक जिंदा घर पहुंचा।

घटना भागलपुर ब्लॉक की मुरासों गांव की है। जहां वर्ष 2008 में राम सुमेर यादव ने सांप काटने पर अपने बेटे को मरा हुआ समझ केले के तने में बांध कर सरयू नदी में बहा दिया था। बेटे के जिंदा लौटने पर घरवालों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े और सभी ने ईश्वर को धन्यवाद दिया।

देवरिया जिले के भागलपुर विकासखंड के मुरासों गांव निवासी राम सुमेर यादव के अंगेश को वर्ष 2008 में एक जहरीले सांप ने डस लिया था। उस वक्त उसकी उम्र मात्र 10 वर्ष की थी। जानकारी होने पर घर वालों ने काफी झाड़-फूंक कराया। झाड़-फूंक से जब राहत नहीं मिली तो डॉक्टरों से इलाज भी कराया। मगर अंगेश की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने उसे मरा हुआ घोषित कर दिया। चारों तरफ से निराश होने के बाद रामसुमेर ने लोगों के कहने पर अंगेश को केले के तने में बांधकर सरयू नदी में बहा दिया।

15 वर्ष बाद घर पहुंचे अंगेश ने बताया कि होश में आने पर उसने खुद को सपेरों की एक बस्ती में पाया। वहां पूछने पर पता चला कि अमन माली नाम के एक सपेरे ने नदी में से निकाल कर झाड़-फूंक के जरिए उसे जिंदा किया है। अंगेश के मुताबिक अमन माली के साथ रहने लगा। अमन माली दूर-दूर तक घूमकर सांप का तमाशा दिखाते थे। वह भी उनके साथ तमाशा दिखाने जाने लगा।

कुछ दिनों तक वह कटिहार में उनके साथ रहा। बाद में अमन ने उसे पंजाब के अमृतसर में एक बड़े किसान के वहां नौकरी पर रखवा दिया। वहां से जो भी पगार मिलती थी वह अमन माली ले लेते थे।

अंगेश ने बताया कि अमन माली इधर कुछ दिनों से उस पर शादी करने का दबाव बनाने लगे थे। मगर धीरे-धीरे उसे अपना घर परिवार सब कुछ याद आ गया था और वह जल्दी अपने घर आना चाहता था। एक सप्ताह पूर्व उसने अपनी कहानी आजमगढ़ जिले के निवासी एक ट्रक ड्राइवर को बतायी। उसकी बात सुनकर ट्रक ड्राइवर ने उसे आजमगढ़ पहुंचा दिया।

वहां से ट्रक से बलिया जिले के बेल्थरा रोड पहुंचा और वहां से वह बलिया जिले के मनियर थाने पर पहुंच गया। मनियर थाने की पुलिस ने अंगेश की बात सुनकर उसे थाने में बैठाया। फिर उसकी फोटो व्हाट्सएप के जरिए उसके गांव के प्रधान को भेजी।

जानकारी होने पर अंगेश के परिजन उसे खोजते हुए मनियर थाने पर पहुंचे। जहां उसने अपनी मां कमलावती देवी, चाची संभलावती देवी को पहचान लिया। वहां से लोग अंगेश को लेकर अपने घर पहुंचे। डेढ़ दशक बाद अंगेश की घर लौटने की खबर पकड़ते ही उसके दरवाजे पर लोगों की भीड़ जुटने लगी। लोग इसे दैवीय चमत्कार मानकर ईश्वर को बधाई दे रहे हैं।

अंगेश ने बताया कि वह सभी को पहचान रहा है और धीरे-धीरे सभी घटनाएं उसे याद आ रही हैं। अंगेश की मां कमलावती ने बताया कि वह अपने बचपन के मित्रों और अध्यापकों को भी पहचानने लगा है। सभी बहुत खुश हैं।

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