यू टी आई इंफेक्शन पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को होता है। स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार इसका इलाज जितना जल्दी हो सके करवा लेना चाहिए नहीं तो यह रोग बढ़कर गंभीर स्थिति तक पहुंच सकता है। पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को यह इंफेक्शन 4 गुना अधिक होता है।
कैसे पता चलता है इस इंफेक्शन का:-
इस इंफेक्शन का पता रूटीन यूरिन टेस्ट से किया जाता है। पैथ लैब में यूरिन देकर इसकी जांच होती है। यूरिन में पस सेल्स की उपस्थिति इस संक्रमण का संकेत देती है। अगर यूरिन में किसी भी प्रकार का संक्रमण आता है तो यूरिन कल्चर व अन्य ब्लड टेस्ट कराए जाते हैं। अगर स्थिति गंभीर हो तो पेट का अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन भी कराया जा सकता है।
क्यों होता है इंफेक्शन
यूरिन में जब वैक्टीरिया पहुंच जाते हैं तो वे तेजी से बढऩे लगते हैं। ये बैक्टीरिया यूरेथ्रा की ओपनिंग से होते हुए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। 90 प्रतिशत मामलों में ई-कोलाई इस संक्रमण के लिए जिम्मेदार होता है।
ये बैक्टीरिया डाइजेस्टिव सिस्टम में रहने के कारण अवसर पाते ही संक्रमण फैला देते हैं। यूरिन से बैक्टीरिया बाहर निकलते हैं पर अधिक संख्या में होने के कारण कई बार यूटरस से होते हुए किडनी तक पहुंच जाते है जो गंभीर समस्या को जन्म देते हैं।
ऐसे में व्यक्तिगत सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर लापरवाही बरतेंगे तो समस्या गंभीर हो सकती है।
शौच करने के बाद अगर हम उसे पीछे से आगे की ओर धोते हैं तो एनस के आसपास के बैक्टीरिया यूरेथ्रा में प्रवेश कर ब्लैडर तक पहुंच जाते हैं और इंफेक्शन फैलाते हैं।
शारीरिक संबंध (संभोग) भी यूटीआई की समस्या का एक कारण है। इससे बैक्टीरिया काफी अंदर तक चले जाते हैं।
किडनी में स्टोन का होना भी इसका एक कारण हो कसता है। यूरिन जाते समय ब्लैडर का पूरा खाली न होना।
जिन महिलाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वे जल्दी ही इसकी शिकार बनती हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में इस्ट्रोजन की कमी भी इसका कारण है। यू टी आई दो प्रकार से होता है। एक लोअर यूटीआई और दूसरा अपर यूटी आई।
लोअर यूटीआई में मूत्रमार्ग के निचले हिस्से में यानी ब्लैडर व यूरेथ्रा में होता है। इसमें यूरिन पास करते समय जलन होती है, दुर्गंध वाला यूरिन आता है और बार-बार यूरिन का आना महसूस होता है। ऐसे में हल्का बुखार रहता है और पेडू में हल्का हल्का दर्द बना रहता है।
अपर यूटीआई ऊपरी भाग में होता है तो किडनी और यूटरस में इंफेक्शन होना। यह स्थिति गंभीर होती है। ऐसे में तेज बुखार, उल्टी जैसी समस्या, कंपकंपी होना इसके लक्षण हैं। इससे आमतौर पर किडनी प्रभावित होती है। अगर उचित इलाज समय पर न किया जाए तो रोगी की मौत भी हो सकती है।
कभी भी यूरिन करते समय जलन 2-3 दिन तक चलती रहे तो पानी अधिक पीकर ब्लैडर की सफाई करें। फिर भी जलन बनी रहे तो डाक्टर से संपर्क कर एंटीबायोटिक आदि का सेवन करें।
अपना ध्यान रखें:-
पानी भरपूर पिएं ताकि ब्लैडर साफ होता रहे।
गर्मियों और बरसातों में अंडरवीयर टाइट न पहनें, न ही टाइट कपड़े पहनें। इससे बैक्टीरिया की ग्रोथ बढऩे का खतरा बना रहता है।
शौच करने के बाद आगे से पीछे की ओर सफाई करें।
अगर पेडू में हल्का दर्द हो तो गरम पानी की बोतल से सिकाई करें।
अधिक मिर्च मसाले, काफी, अल्कोहल के सेवन से ब्लैडर में तकलीफ होती है। उससे यूरिन पास करते समय भी समस्या का सामना करना पड़ता है।