कितना हसीं व सुखद पल होता है जब एक औरत गर्भधारण करती है वह अपने आप को इस दौरान पूर्ण औरत के रूप में स्वीकार करती है। अब उसे अपने अलावा जो पेट में पनप रहा है उसकी भी चिन्ता रहती है। उसका भी पोषण करना है पर अक्सर वह गर्भधारण के बारे में पूर्ण जानकारी से अनभिज्ञ रहती है। तो आइये मां बनने तथा अपनी व अपने आने वाले शिशु की ठीक से पोषण की जानकारी लें।
कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी औषधि न लें, चाहे वह सिर दर्द की हीे क्यों न हो। डाक्टर के अनुसार ही निश्चित खुराक लें। संभव हो होम्योपैथिक दवाई लें तो बेहतर है। इससे माता व भ्रूण को कोई नुकसान नहीं होगा।
स्वास्थ्य की पूरी देखभाल करें, निरोग रहें, संक्रामक रोगी विशेषकर मीजल्स से बचाव रखें। भीड़ वाली जगह जाने से बचें।
किसी भी तरह का भू्रण टेस्ट न कराएं। इससे हानि पहुंचती है। धीरज से नौ माह तक प्रतीक्षा करें व संयम से काम लें।
अधिक खाना न खाएं। उतना ही खाएं जितना आप खाती हैं। खाना पाचक, पौष्टिक, साफ-सुथरा व ताजा हो। फल व हरी सब्जियां खाएं। ज्यादा वजन न बढ़ाएं वरना बाद में फिगर संभालने में दिक्कत होती है। उल्टी व उबकाई आना सामान्य बात है। दवाई का सेवन न करें।
किसी भी किस्म के धूम्रपान व मद्यपान से बचें। सिगरेट के निकोटिन से माता की रक्त वाहिकाएं सिंकुड़ जाती हैं और भू्रण को खून और आक्सीजन की कम मात्रा प्राप्त होती है।
खूब टहलिए व सामान्य काम काज करते रहिए। भारी वजन न उठाएं। सीढिय़ां भी बार-बार उतरें चढ़ें नहीं। लंबी यात्र व भारी धक्कों से बचें तो बेहतर है।
कपड़े आरामदायक व खुले-खुले फ्लैट चप्पल, या जूते ही पहनें।
अच्छी-अच्छी धार्मिक किताबें पढ़ें व अच्छी बातें ही सुनें कहें। जहां आपका बैड है वहीं सामने सात्विक तस्वीर लगाएं व देखें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी असर पड़ता है। खुश रहें, मस्त रहें। इन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखेंगी तो नौ महीने हंसते-हंसते ही बीत जाएंगे। हमारी मेहनत का फल मिलेगा। सुंदर स्वस्थ शिशु।
– अलका अमरीश चौधरी