Monday, December 23, 2024

अनमोल वचन

देखा जाए तो हम जीवन भर खाना, पीना, पढ़ना, नौकरी अथवा व्यापार करना, विवाह करना, परिवार का विस्तार करना आदि जितने भी काम करते हैं, उनसे हमें सुख-शान्ति प्राप्त नहीं होती, जैसा कि हम अपेक्षाएं करते हैं, क्योंकि वह स्रोत जिससे हमें शान्ति प्राप्त हो सकती है वह इन सांसारिक कार्यों में नहीं, वह तो हमारे भीतर है।

जब हम किसी योगी अथवा अच्छे मार्गदर्शक के मार्गदर्शन में आत्मज्ञान को प्राप्त करेंगे, तभी उस आनन्द और परम शान्ति की अनुभूति कर सकेंगे, जो चिरस्थायी है, शाश्वत है।

आपको ज्ञान होगा कि भगवान बुद्ध के समय पशुओं की बलि दी जाती थी। आज भी कुछ अज्ञानी लोग नेपाल तथा पर्वतीय क्षेत्रों में बंगाल में पशुओं की बलि देते हैं। कोई भैसे की, कोई बकरे की बलि देता है। कभी-कभी समाचार पढ़ने को मिल जाते हैं कि किसी महिला ने पुत्र की कामना के लिए पड़ौसी के पुत्र की बलि दे दी। ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। ऐसा पाप करके पुत्र की प्राप्ति तो होती नहीं, जीवन भर के लिए अशान्ति और दुख मिल जाते हैं।

विचार करें जिस देवी को हम सारे संसार की मां मानते हैं वह बलि पर चढ़ने वाले बकरे की भी तो मां है फिर मां अपने पुत्र का सिर कैसे खायेगी? यह अज्ञानता है, महामूर्खता है। ऐसे पाप कृत्यों पर तुरन्त प्रतिबन्ध लगना चाहिए। परमपिता परमात्मा किसी भी प्रकार की हिंसा की आज्ञा नहीं देता।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय