Sunday, November 24, 2024

अनमोल वचन

ओइम् भुर्भुव: स्व: तत्सविर्तुवरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् यह गायत्री मंत्र है इसका भावार्थ है ‘हे प्राणरक्षक प्राणाधार दुख विनाशक, सुखों के प्रदाता तू सारे जगत को उत्पन्न करने वाला है, सबको प्रकाश देने वाला है, तू ही वरण करने योग्य है।

हे मेरे प्यारे प्रभु मैं तेरे दिव्य तेज को धारण करता हूं, मैं अपनी बुद्धि को तेरे अर्पण करता हूं। मेरी इस बुद्धि को अपनी ओर ले चल। विद्वानों ने गायत्री मंत्र को वेदो का सार कहा है, भूलोक की कामधेनु माना है। संसार इसका आश्रय लेकर सब कुछ प्राप्त कर लेता है।

चरक संहिता में कहा गया है ‘जो ब्रह्मचर्य सहित गायत्री की उपासना करता है और आंवले के ताजे फलों का रस सेवन करता है वह दीर्घ जीवी होता है। गायत्री एक अनुपम रत्न है। गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है और आत्मा में ईश्वर का प्रकाश आता है। गायत्री में ईश्वर पारायणता का भाव उत्पन्न करने की शक्ति विद्यमान है कि वह कुमार्गी को कुमार्ग छुड़ाकर सन्मार्ग पर चला देती है।

रोगियों तथा आत्मिक उन्नति चाहने वालों के लिए गायत्री मंत्र अत्यंत उपयोगी है। सामान्य व्यक्तियों को भी आत्म शुद्धि के लिए प्रात: सांय कुछ अवधि के लिए गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए और इसे अपना अनिवार्य कत्र्तव्य मानकर जीवन भर नियमित रूप से करते रहना चाहिए।

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