Friday, November 15, 2024

अनमोल वचन

जब हम किसी दुविधा में फंसे हों, दुख और रोग से पीड़ित हों तो कोई हमारा शुभचिंतक, मार्गदर्शक अथवा कोई विद्वान, मनीषी, संत हमें पवित्र गायत्री महामंत्र का जाप करने का परामर्श देता है और हम उनके परामर्श को सम्मान देते हुए उसका लाभ भी उठाते हैं, किन्तु हमें विपत्ति के समय ही नहीं सदैव ही गायत्री मंत्र का जप-जाप करते रहना चाहिए। गायत्री का जप-जाप परम लक्ष्य तक पहुंचने वाला है।

देवी भागवत के अनुसार, गायत्री की ही उपासना सनातन है। सब वेदो में गायत्री की उपासना की शिक्षा दी गई है, जिसके बिना मनुष्य का सर्वथा अध:पतन हो जाता है।

गायत्री महामंत्र को गुरूमंत्र कहा गया है। चारों वेदों में इसका वर्णन है। अर्थवेद के अनुसार यह वेद माता, गायत्री माता, मानव को पवित्र करने वाली, आयु स्वास्थ्य, सन्तान, पशु, धन ऐश्वर्य और प्रभु का साक्षात्कार कराने वाली है।

गायत्री मंत्र के जप से ब्रह्म की प्राप्ति होती है। महर्षि व्यास के अनुसार पुष्पों का सार मधु है, दूध का सार घृत है और चारों वेदो का सार गायत्री है। गंगा का, शरीर का मल धो डालती है और गायत्री गंगा आत्मा को पवित्र कर देती है, चित्त में एकाग्रता तथा बुद्धि को निर्मल बनाती है। सभी स्त्री-पुरूषों को गायत्री का नित्य जाप कराना चाहिए।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय