संसार के अधिकांश व्यक्ति अपने साथ किये गये दुर्व्यवहार अथवा अपमान को नहीं भूलते, उसे याद रखकर दुर्व्यवहार करने वाले से प्रतिकार लेना चाहते हैं और जब भी अवसर मिलता है वे ऐसा करते भी हैं। भूलने और क्षमा करने का विचार उनके मन में आता ही नहीं, किन्तु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो ऐसे कृत्य को मूर्खता समझकर दुर्व्यवहार को क्षमा कर देते हैं। नीतिका वचन है कि जो क्षमा कर देता है वह देवता है। जो अपने प्रति किये गये दुर्व्यवहार को याद तो रखता है, परन्तु बदले की भावना मन में नहीं रखता। उसे याद रखकर भविष्य के लिए कुछ शिक्षा लेता है वह महा मानव है। साधारण व्यक्ति याद तो रखता है, किन्तु कालान्तर में उसे भूल भी जाता है। अवसर मिल जाये तो बदला भी ले लेता है। निम्र श्रेणी के लोग न कभी भूलते हैं न क्षमा करने की सोचते हैं, बल्कि बदला लेने का अवसर खोजते रहते हैं और अवसर मिलते ही अपने इरादे को अमलीजामा पहना देते हैं। सामान्य रूप से तो हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए कि ऐसी विषम परिस्थिति का सृजन न ही हो और यदि न चाहते ऐसी परिस्थिति को झेलना ही पड़े तो अपने हित में यही होगा कि उस घटना के बारे में ही सोचते रहकर अपना स्वास्थ्य खराब न किया जाये। जहां तक सम्भव हो उसे भूलने का ही प्रयास करे और अपने पूर्व जन्म के किसी दुष्कर्म का फल समझकर अपने को सामान्य रखें।