Tuesday, May 21, 2024

अनमोल वचन

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |
निर्मलता और सहजता ईश्वर का मानव को दिया गया अनुपम उपहार है। निर्मलता ही हमें नर से नारायण बनाती है। निर्मल मन सुख-शान्ति का आधार है, जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जबकि मन की मलिनता हमें हमारे स्वभाव को दुर्भाव में परिवर्तित कर देती है। भावनाओं को स्वाभाविक मोड़ देकर हमें राग द्वेष और क्षोभ से भर देती है। निर्मल मन को मल तथा स्निग्ध होता है, जबकि मैले मने में छल, कपट, राग और द्वेष घर करने लगते हैं। मन की निर्मलता के लिए सबसे पहले अनिवार्य है, जीवन में प्रेम और करूणा की भावना का प्राुदभाव। जब तक हम दूसरों का शोषण कर व्यवहार और अपने स्वार्थों के पोषण में ही लगे रहेंगे, तब तक निर्मलता हमसे दूर भागती रहेगी। हमारे आवेग, विक्षेप, संकल्प, विकल्प हमें शक्ति हीन किये रहेंगे। मन निर्मल कैसे हो उसे तो प्रयास करके भी निर्मल रख पाना कठिन कार्य है। आज के विषाक्त परिवेश में तो यह निरन्तर साधना के द्वारा ही सम्भव हो पायेगा, परन्तु सच्चाई यह भी है कि शान्ति की आशा तभी की जा सकती है, जब मन स्वच्छ हो निर्मल हो निष्काम हो।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,188FansLike
5,319FollowersFollow
50,181SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय