Friday, November 22, 2024

मुजफ्फरनगर में साहित्यिक संस्था वाणी की मासिक गोष्ठी का आयोजन

मुजफ्फरनगर। नगर की अग्रणी साहित्यिक संस्था वाणी की मासिक गोष्ठी का आयोजन वाणी के अध्यक्ष बृजेश्वर त्यागी जी के रामपुरी आवास पर 27 अगस्त 2023 दिन रविवार को किया गया। जिसमें अध्यक्ष बृजेश्वर त्यागी ने दीप प्रज्वलित करके गोष्ठी का शुभारंभ किया और श्रीमती सुशीला शर्मा ने सरस्वती वंदना की। गोष्ठी के प्रथम चरण में संस्था के सुंदर संकलन “साहित्यिकी पर महत्वपूर्ण चर्चा की गई तत्पश्चात द्वितीय चरण में रचना पाठ का शुभारंभ किया गया।
सुशील शर्मा ने खूबसूरत गजल से अपनी रचना का आगाज कुछ इस प्रकार किया… नाज हमको है तुम पर भारती के रखवालो, खुशबुओं को भारत की चांद पर बिखरा है।।
विजय गुप्ता ने कहा..
हे चंद्रमुखी हे चंद्र बदनी है प्रियतमा अब किस संबोधन से पुकारू तुम्हें चंद्रमा का वास्तविक रूप आ गया सामने।
पूजा गोयल ने भाग्य का उल्लेख कुछ इस प्रकार किया..
भाग्य का चमका सितारा, फिर कलंकित हो रहा है।
साथ का एकांत से फिर, सौदा कलुषित हो रहा है।
सुमन सिंह चंदेल ने कहा…
अगन आग की जल से बुझती, जल की जलना कौन बुझाए।
बीच नदी मछली प्यासी और मणिपुर जलता जाए।
सुनीता सोलंकी जी ने प्रेम का इजहार कुछ इस प्रकार किया ….
मैंने चुन लिया मैंने स्वतंत्रता को चुन लिया वह मन ही मन बोली,
मैं बहुत खुश हूं।
वरिष्ठ कवि विजय मणि सिंह ने कहा बहुत अजनबी मिले,जो सफर में सो गए।
एक-दो के खयालात ही बस एक हो गए।
नवोदित कवि प्रमोद कुमार जी ने कहा…
भाव है अंतर्मन संभाले इन्हें हर पल,
रोशनी वह नूर है जो अंधकार का करे क्षरण।
वरिष्ठ कवि समीर कुलश्रेष्ठ ने निशा का व्याख्यान कुछ ऐसे किया…
बीत गई निस्तब्ध निशा, फिर जगमग करता हुआ सबेरा,
उदित हुआ स्वातंत्रय सूर्य अब ना पड़े निशा का डेरा।
सचिव सुनील कुमार शर्मा ने जीवन की बाधाओं को उचित इस प्रकार प्रदर्शित किया..
जीवन पथ पर चलते-चलते ,
कभी-कभी थक जाता हूं जब कभी-कभी थक जाता हूं ,
तो कहीं-कहीं रुक जाता हूं।
वाणी के संरक्षक डॉ बी. के. मिश्रा ने कहा तुमसे यह जो मुलाकात हो गई ,
एक नई नज़्म की शुरुआत हो गई,
मुझे लगा कि अब सहर भी है करीब ,
खीजा भी बहारों की बारात हो गई।
वाणी के पूर्ण सचिव राम कुमार शर्मा रागी ने दिल के दर्द को ऐसे पेश किया…
हमी ने जख्म लिखे हैं, हमी ने दर्द लिखे हैं, आंखों की नमी लिखी चेहरे जर्द लिखे हैं,
किसी के पक्ष में हमने कलम का रुख नहीं मोड़ा,
कसम से मर्द जो भी थे उन्हें ही मर्द लिखे हैं।
गोष्ठी में डॉ बी. के. मिश्रा, ब्रजराज सिंह सपना अग्रवाल, मनु स्वामी, विजय मणि सिंह, योगेंद्र सोम, राजकुमार रसिक और रामकुमार रागी आदि साहित्यकारों ने सकारात्मक विषयों पर रचनाएं सुनाकर वाह वाही लूटी। अध्यक्ष राजेश्वर त्यागी ने सभी का आभार प्रकट किया और अपनी बहुत प्यारी साहित्यिक पुस्तक “मेरे नैन बावरे” सभी साहित्यकारों को भेंट की। गोष्ठी का संचालन वाणी सचिव सुनील कुमार शर्मा ने सुचारू रूप से किया।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय