धनी होने के अहंकार से बचने का एक सीधा और सरल सा उपाय यह है कि स्वयं को उसका स्वामी न माने। वेद कहता है ‘ईस्यावासयम् ईद सर्वं यत्किचित जगात्याम् जगत अर्थात ‘संसार में जितना भी धन सम्पत्ति है वह सब ईश्वर की है। वह मेरी नहीं है। आज जितना धन मेरे पास भगवान ने दिया है वह तो तुच्छ ही है। यदि आप लखपति हैं तो आपको अपने चारों ओर अनेक करोड़पति मिल जायेंगे।
यदि आप करोड़पति हैं तो ढूंढने से अनेक अरबपति मिल जायेंगे। तुम्हारे पास कार है तो आपको अपने से अच्छी कार वाले मिल जायेंगे। उन्हें देखकर आपको कार के स्वामी होने का सुख फीका पड़ जायेगा।
आपके पास एक कोठी है तो दूसरे ऐसे मिल जायेंगे, जिनके पास आपसे बढिया कोठी है। आपके पास एक है तो आपको ऐसे मिल जायेंगे, जिनके पास आपसे बढिया एक से अधिक कोठियां हैं। इसलिए परमात्मा से प्राप्त धन वैभव का अभिमान करना नहीं चाहिए।