Thursday, January 23, 2025

अनमोल वचन

हे मानव अनेक योनियों में भ्रमण करके तुम्हें यह मानव चोला प्राप्त हुआ है। किसी विशेष उद्देश्य से जगत नियन्ता परमात्मा ने तुम्हें इस धरती पर भेजा है। तुम स्वयं को पहचानों, तुम निरे माटी के पुतले नहीं हो, हाड-मांस के थेले नहीं हो, निर्जीव मुर्दे के समान नहीं हो, तुम एक सजीव शक्ति सम्पन्न पुरूष हो।
तुम्हारे जीवन का अस्तित्व खाने, पीने, सोने मात्र के लिए नहीं है। किसी विशेष उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए ही यह मानव जीवन प्राप्त हुआ है। प्रत्येक मनुष्य में एक दैवी शक्ति छिपी हुई है और वह सब कुछ कर सकता है। संशय और संदेह को अपने हृदय मंदिर से बाहर निकाल दो। निर्बलता, निराशा, भय और चिंता से मुक्त हो जाओ।
भय कमजोरी है, भय निर्बलता है, भय पाप है, भय मृत्यु है और भय सम्पूर्ण मानव जाति का प्रबल शत्रु है। तुम सदा निर्भय रहो, चेतन रहो, जागृत रहो और भूलकर भी चिंता, भय, शंका को मन मंदिर में प्रवेश न होने दो।
कभी निराश न हो, हमेशा आशावादी रहो, चट्टान के समान दृढ रहो। सन्मार्ग पर दृढतापूर्वक डटे रहो। समस्त मानसिक तथा शारीरिक निर्बलताओं पर विजय प्राप्त करो। याद रखो निर्बल का कोई सम्मान नहीं करता, सभी उसकी उपेक्षा करते हैं, जबकि बलवान को सभी अभिवादन करते हैं।
- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!