Monday, February 24, 2025

अनमोल वचन

मानव जन्म के साथ ही संघर्षों का आरम्भ हो जाता है। सम्पूर्ण जीवन को ही संघर्षों की यात्रा कह दिया जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

संघर्ष वास्तव में वह अग्रि है, जिसमें तपकर किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पूरी तरह परिष्कृत होकर समाज के समक्ष एक दृष्टान्त के रूप में स्थापित होता है। बिना संघर्ष के जीवन जीने का कोई औचित्य ही नहीं। संघर्ष मानव जीवन का एक अपरिहार्य तत्व है। इसलिए संघर्ष से घबराकर हमें कभी आत्मघाती कदम उठाने का विचार भी नहीं करना चाहिए। अपितु अगे बढ़कर उसका स्वागत करना चाहिए।

इस धरा पर ऐसा कोई नहीं जन्मा जिसके जीवन में संघर्ष न आये हों, यहां तक कि नर का रूप धारण करने वाले नारायण, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम और सोलह कलाओं से पूर्ण भगवान श्री कृष्ण स्वरूप में ईश्वरीय अवतार भी संघर्षों से अछूते नहीं रहे। भगवान राम यदि संघर्षों से समझौता कर लेते तो उन्हें अयोध्या का राजसिंहासन तो आसानी से मिल जाता, परन्तु पृथ्वी को अन्याय, अनीति और अनाचार से मुक्ति नहीं मिलती। संघर्षों से जूझने की अदम्य क्षमता के चलते ही आज भगवान के रूप में उनकी पूजा होती है, इसलिए जीवन को पूर्ण सफल बनाना है तो संघर्षों से मुंह न मोड उनका स्वागत करें।

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