Saturday, March 29, 2025

अनमोल वचन

इंसान की मौलिक इच्छाओं में पहली इच्छा भोजन की होती है। भोजन अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि उससे एक ऐसा रसायन बनता है, जो प्राण ऊर्जा बनकर सम्पूर्ण शरीर तंत्र का संचालन करता है। हमारे भोजन से ही प्राणशक्ति पैदा होती है, जो शक्ति के केन्द्र को संचालित करती है।

अब प्रश्र यह है कि भोजन कैसा किया जाये। एक कहावत है कि ‘जैसा खाये अन्न वैसा हो जाये मन।  इसलिए भोजन सात्विक करना चाहिए, जो ऊर्जा पैदा करने वाला हो, भोजन तीन प्रकार का होता है-सात्विक, तामसिक और राजसिक। सात्विक भोजन जहां मन को शुद्ध करता है, वहीं तामसिक और राजसिक भोजन मन में एक प्रकार की उत्तेजना पैदा करते हैं, जिससे शरीर की ऊर्जा का अपव्यय होता है, इसलिए तामसिक और राजसिक भोजन से बचने का आग्रह आयुर्वेद ग्रंथों में किया गया है।

जीवन में निरोगता बनी रहे इसके लिए भोजन का संयम जरूरी है। भोजन भूख से थोड़ा कम खाया जाये, जो सात्विक हो और साथ ही पौष्टिक भी हो तो शरीर स्वस्थ रहेगा। कहा गया है कि जितने आदमी भूख से मरते हैं, उससे कई गुणा अधिक खाने से मरते हैं। चरक संहिता की यह शिक्षा सदैव स्मरण रखें। ‘ऋत भुक, मित भुक, हित भुक अर्थात ऋतु के अनुकूल, भूख से कम और जो शरीर के लिए हितकारी हो वह भोजन करें।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

75,563FansLike
5,519FollowersFollow
148,141SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय