Tuesday, September 17, 2024

अनमोल वचन

सुख सभी को चाहिए, दुख की कामना कोई नहीं करता। सुख पाने के लिए इच्छाओं की लम्बी रेखाओं के बीच याद रखे कि सुख तो तभी मिलेगा, जब आप संतुष्ट हो जायेंगे। यदि लालसायें जीवित रही तो आपको दुख ही प्राप्त होगा। ये भौतिक सम्पदाएं तो नश्वर हैं, टिकाऊ नहीं हैं।

इनके लिए मन में तृष्णाएं जागती रहेगी तो दुख ही दुख है, परेशानी ही परेशानी है। संत कबीर कहते हैं ‘साई इतना दीजिए जा में कुटम्ब समाय, मैं भी भूखा न रहूं, साधु भूखा न जाये’ कितनी अच्छी विनती है, कितनी सुन्दर प्रार्थना है कि हे परमेश्वर मुझे धन सम्पदा इतनी ही देना, जिससे मेरे कुटम्ब, मेरे परिवार का पालन-पोषण होता रहे और मेरे घर में जो अतिथि आये साधु-संन्यासी आये उनका भी मैं आदर-सत्कार कर सकूं।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

संत कबीर के कथन का भाव यही है कि आदमी अधिक सम्पदा का करेगा क्या? दो रोटी ही तो खानी है, गृहस्थी को ठीक प्रकार से चलाना ही तो है, सामाजिक, धार्मिक कर्तव्यों को ही तो पूरा करना है, जिससे कहीं शर्मिन्दगी उठानी न पड़े। इससे अधिक लालसायें पालेंगे तो मन की शान्ति ही भंग होगी और सच्चाई यही है कि मन की शान्ति में ही सुख है। अशांत मन के लिए कभी सुख की कल्पना करना सम्भव ही नहीं।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,334FansLike
5,410FollowersFollow
107,418SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय