Wednesday, January 22, 2025

अनमोल वचन

ऐतरेय ब्राह्मण में पुरूषार्थ की महिमा का वर्णन करते जो श्लोक उद्धत किये गये हैं वे मानव के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनके अनुसार ‘श्रम किये बिना श्री प्राप्त नहीं होती, क्योंकि जो सोता है, उसका भाग्य सोता है, जो खड़ा हो जाता है, उसका भाग्य खड़ा हो जाता है, जो चलता है उसका भाग्य भी चलता है, जो दौड़ता है उसका भाग्य भी दौड़ता है अर्थात जो कर्म करने को उद्यत हो जाता है उसी का भाग्य चमकता है।

सोजाना कलियुग है, आलस्य का त्याग करना द्वापर है, उठना त्रेता है और पुरूषार्थ करना सतयुग है। मधुमक्खी चलकर, उड़कर मधु प्राप्त करती है। पक्षी भ्रमण करके ही मीठे फल प्राप्त करते हैं। सूर्य की जो शोभा है वह उसके निरालस्य भ्रमण से ही है, जो चलता है वही निरोग एवं स्वस्थ रहता है।

सुफल की प्राप्ति तक प्रयत्न करने वाले की आत्मा प्रभावशाली होती है, उसके सारे पाप, मार्ग में ही समाप्त हो जाते हैं इसलिए पुरूषार्थ करो, पुरूषार्थ करो। पुरूषार्थ करो। इसी में सफलता का रहस्य छिपा है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!