यदि आपके मन में अपने बड़ों, माता-पिता तथा गुरू के प्रति सम्मान है तो निश्चय ही परमात्मा में भी आपकी आस्था बढेगी, उनकी कृपाओं में विश्वास बढ़ेगा, निश्चय ही आप प्रभु भक्त भी बनेंगे। उस सम्मान, आस्था और विश्वास का फल आपको जीवन में अवश्य प्राप्त होगा। आप बड़ों के प्रति अनादर का भाव रखते हें, उनका अपमान करते हैं तो आप चाहे कितनी भी पूजा-पाठ करें, मंदिरों की कितनी भी परिक्रमा करे, यह सब आपका पाखंड ही माना जायेगा। प्रभु की कृपा आपको प्राप्त होगी ही नहीं। बड़ों के आशीष वचनों में परमात्मा का निवास होता है। उनका आशीष फलता है और आपका जीवन निर्बाध और निष्कटक व्यतीत होता है। उनका आशीर्वाद तभी मिलता है, जब हम में पात्रता होगी। पात्रता तभी आयेगी जब हम उनके प्रति विनम्र होंगे, सम्मान और सेवा की भावना होगी। पहले योग्य बनो, सुपात्र बनो, तब इच्छा करो भगवान के सामने बैठकर पूजा करने से बढ़कर है। मां-बाप तथा बड़ों की सेवा करना जो अपने बड़ों की सम्मान के साथ सेवा करते हैं, परमात्मा की कृपा तथा प्रसाद उन्हीं को प्राप्त होता है।