Sunday, November 24, 2024

मॉनसून के आने में देरी से भारत के कुछ हिस्सों में भीषण गर्मी की लहर

नई दिल्ली। दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून आखिरकार गुरुवार को केरल में प्रवेश कर गया। सात वर्षो बाद मॉनसून के आने में बहुत देरी हुई है, इस बीच भारत के कुछ हिस्से चिलचिलाती गर्मी से जूझ रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने चेतावनी जारी की कि आने वाले दिनों में कई क्षेत्र लू से प्रभावित होंगे। अनुमान लगाया गया है कि बिहार में 8 से 12 जून तक भीषण गर्मी की लहर का अनुभव होगा। पश्चिम बंगाल के गंगीय क्षेत्र और झारखंड में 8 से 11 जून तक ऐसी ही स्थिति बने रहने की उम्मीद है।

आईएमडी ने कहा कि इसके अलावा, ओडिशा और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल क्षेत्र में 8 से 10 जून के दौरान लू चलने की संभावना है। तेलंगाना में 8 और 9 जून को अधिक तापमान का अनुभव होगा, जबकि उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 11 जून तक लू की स्थिति बनी रहेगी।

गर्मी की लहर के बीच दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून गुरुवार को दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों, संपूर्ण लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र की खाड़ी के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ गया।

आईएमडी ने कहा, “दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून आज केरल में पहुंच गया है। इसके मध्य अरब सागर के कुछ और हिस्सों, केरल के शेष हिस्सों, तमिलनाडु के कुछ और हिस्सों, कर्नाटक के कुछ हिस्सों और दक्षिण-पश्चिम के कुछ और हिस्सों, मध्य और पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी और कुछ हिस्सों की ओर बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। अगले 48 घंटों के दौरान मॉनसून पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में भी प्रवेश कर जाएगा।”

आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है।

उन्होंने कहा, “हालांकि, अगले चार से पांच दिनों के लिए क्षेत्र में लू चलने का अनुमान नहीं है। इसके विपरीत, पूर्वी भारत उत्तर-पश्चिम भारत के आस-पास के क्षेत्र और पूर्वी उत्तर प्रदेश इस समय गर्मी की लहर का सामना कर रहे हैं।”

इन दिनों पूर्वी भारत अत्यधिक गर्मी से जूझ रहा है, जबकि देश के अन्य हिस्सों को अप्रत्याशित ओलावृष्टि और अत्यधिक बारिश का सामना करना पड़ रहा है।

आईएमडी ने गुरुवार को 11 और 12 जून को उत्तराखंड में ओलावृष्टि होने की चेतावनी भी जारी की।

मौसम विज्ञानी मॉनसून-पूर्व मौसम (मार्च से मई) के दौरान सामान्य से कम तापमान रहने का श्रेय पश्चिमी विक्षोभ की बढ़ी हुई आवृत्ति को देते हैं।

ये मौसम प्रणालियां भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होती हैं और उत्तर-पश्चिमभारत में असमय बारिश लाती हैं।

इस बीच, भारत का पश्चिमी तट आगामी सप्ताहांत में भारी बारिश का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है, क्योंकि चक्रवात बिपारजॉय तेज हो गया है। मौसम विज्ञानियों ने पहले कहा था कि चक्रवात मॉनसून की तीव्रता को प्रभावित कर रहा है, जिससे केरल में ‘हल्की’ बारिश की शुरुआत हुई।

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