Friday, October 4, 2024

अनमोल वचन

जीवन में मनुष्य द्वारा गलतियां हो जाना स्वाभाविक है। गलतियों की व्याख्या हमारे ऋषियों और मुनियों ने यह की है कि जब व्यक्ति स्वहित में धार्मिक शास्त्र या संविधान विरूद्ध कार्य करता है तो वह पाप या अपराध रूप में माना जाता है। पर पीड़ा को अर्थात दूसरों को पीड़ा देना निंदनीय माना गया है। कुछ गलतियां तो अनजाने में हो जाती है, परन्तु ऐसा बहुत कम ही होता है। अधिकांश गलतियां जान-बूझकर होती है। संविधान द्वारा बनाये गये नियम, कानून का उल्लंघन करने पर तत्कालीन शासन व्यवस्था दंड देती है, परन्तु परिजनों, मित्रों और शुभचिंतकों के साथ की गई गलती अथवा नकारात्मक कार्य जिसका दंड यदि कानून व्यवस्था में नहीं मिलता, उसका फल उसके कर्ता को प्राकृतिक ढंग से मिलता है। प्रथमत: तो ऐसा करने वाले की आदते बिगड़ जाती है वह कुमार्ग में प्रवृत्त हो जाता है। गलत रास्ते से मिली सुविधा अथवा भौतिक संसाधनों के साथ अदृश्य रूप से पीडि़त व्यक्ति की आह भी मिलती है। किसी का धन हड़पकर यदि पूजा-पाठ अनुष्ठान तथा दान आदि भी किये गये तो उनका लाभ भी उसे प्राप्त नहीं होगा, क्योंकि जिस भगवान की कृपाओं के लिए पूजा-पाठ या अनुष्ठान किया जायेगा, वह सब जानता है। भगवान ऐसे व्यक्ति की प्रार्थना स्वीकार कर लेगा, यह असम्भव है।

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