सुखमय जीवन जीने के लिए व्यक्ति को धन भी चाहिए और उत्तम संस्कार भी। दोनों ही आवश्यक है। धन कमाये परन्तु न्याय से कमाये, ईमानदारी और सच्चाई से कमाये। नैतिक व्यवसाय करके धन कमाये जैसे डाक्टर बनकर धन कमाये, धन भी प्राप्त होगा साथ में सेवा का कार्य भी होगा, ऐसे ही अध्यापन का कार्य जिसमें उत्तम विद्या देकर धन कमायेंगे, सामान्य व्यापार द्वारा धन कमाये, सैनिक बनकर देश सेवा करते हुए राजकीय सेवा में निष्ठा से अपनी सेवाएं देते धन कमाना आदि। जिस क्षेत्र में भी आप काम करें, वहां नैतिकता और ईमानदारी बनी रहनी चाहिए। यह सब शास्त्रोक्त अनुकूल रीति है। धर्म विरूद्ध व्यवसाय करके अनैतिक मार्ग से धन नहीं कमाना चाहिए, जैसे मांस, अंडे, शराब का व्यवसाय, चोरी करना, रिश्वत लेना, कालाबाजारी करना, मिलावट करना, दूसरे का धन सम्पत्ति आदि धोखाधडी से हड़प लेना, साझे के व्यापार में बेईमानी करना आदि धर्म और नीति के विरूद्ध हैँ इस प्रकार से धन कमाना पाप है। सुख-शान्ति के लिए मन में उत्तम संस्कार भी होने चाहिए, जिनसे व्यक्ति को शुभ कर्म करने की प्रेरणा मिलती रहे, शुभ आचरण करता रहे, क्योंकि शुभ कर्मों के आचरण से मन को शान्ति की अनुभूति होती है, प्रभु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है।